UPfinance45

Oct 17 2024, 14:53

singhsainicabinetminister_list
हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी सरकार, नायब सैनी बने सीएम, ये चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल

हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार सरकार बना ली है। नायब सैनी ने पंचकूला में आयोजित भव्य समारोह में सीएम पद की शपथ ली। उनके साथ ही 13 मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली।सबसे पहले नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद दूसरे नंबर पर अनिल विज को शपथ दिलाई गई।

अनिल विज ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ
नायब सिंह सैनी के बाद अनिल विज ने मंत्री पद की शपथ ली। अनिल विज हरियाणा में बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक हैं। उन्होंने अंबाला कैंट निर्वाचन क्षेत्र से लगातार सातवीं बार जीत हासिल की। विज मनोहर लाल खट्टर के सरकार में हरियाणा के गृह मंत्री थे। विज के पास स्वास्थ्य और खेल जैसे कई विभाग भी रहे हैं। साल 2014 से पहले वह राज्य में बीजेपी विधायक दल के नेता थे। विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। 

कृष्ण लाल पंवार बने कैबिनेट मंत्री
अनिल विज के बाद बीजेपी विधायक कृष्ण लाल पंवार ने मंत्री पद की शपथ ली। वह दूसरी बार मंत्री बने हैं। पंवार दलित समुदाय से आते हैं। कृष्ण लाल पंवार पानीपत के इसराना सीट से विधायक हैं। वह कुल सात बार विधानसभा चुनाव लड़े जिनमें से पांच बार जीत दर्ज की। पंवार ने अभी हाल में ही राज्यसभा सांसद से इस्तीफा दिया था। कृष्ण लाल कभी पानीपत के थर्मल फ्लांट में बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे। उन्होंने इनेलो से राजनीतिक पारी शुरू की। वह इनेलो छोड़कर 2014 में बीजेपी में शामिल हुए।

विपुल गोयल क मिला कैबिनेट मंत्री का पद
विपुल गोयल फरीदाबाद सीट से जीते हैं। वह वैश्य समुदाय से आते हैं। गोयल दूसरी बार मंत्री बने हैं। गोयल 2014 में भी विधायक बने थे। जब 2016 से जब मनोहर लाल कैबिनेट का विस्तार हुआ तो विपुल गोयल को पर्यावरण एवं उद्योग मंत्री बनाया गया था। 

राव नरवीर सिंह ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ
गुरुग्राम के बादशाहपुर से विधायक राव नरवीर को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नरवीर तीसरी बार विधायक बने हैं। 2019 में उनका टिकट काट दिया गया था। हालांकि 2024 में उन्हें टिकट मिला और कांग्रेस उम्मीदवार वर्धन यादव को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। नरवीर यादव समुदाय से आते हैं।

महिपाल ढांडा ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ
बीजेपी नेता महिलापल ढांडा ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। ढांडा जाट समुदाय से आते हैं। महिलापल लगातार दूसरी बार सैनी कैबिनेट में शामिल हुए हैं। वह पानीपत ग्रामीण सीट से विधायक हैं। वह 2019 में भी यहां से विधायक चुने गए थे। 

श्रुति चौधरी ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ
बीजेपी नेता श्रुति चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। वह तोशाम सीट से पहली बार विधायक बनी हैं। वह जाट समुदाय से आती हैं। श्रुति राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी हैं। श्रुति की मां किरण चौधरी भी हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। तोशाम सीट श्रुति चौधरी के परिवार के पास 50 साल से ज्यादा समय से है। मां-बेटी चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं।

आरती राव ने ली शपथ
नारनौल के अटेली विधान सभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक आरती राव राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हैं। नव निर्वाचित विधायक आरती राव अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी रही है। आरती राव ने 2001 तथा 2012 में शूटिंग वर्ल्ड कप में भाग लिया तथा चार बार एशियन चैंपियन में मेडल जीते। आरती ने 2017 में खेलों से संन्यास ले लिया और उसके बाद से राजनीति में रुचि ले रही हैं। हरियाणा विधान सभा चुनाव 2024 में आरती राव ने अटेली विधान सभा से पहली बार चुनाव लड़ा और एक कड़े मुकाबले में बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर अतरलाल को 3000 मतों से शिकस्त देकर विधायक चुनी गई हैं। 

अरविंद शर्मा बने कैबिनेट मंत्री
बीजेपी नेता अरविंद शर्मा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में रोहतक से चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने गोहाना सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। अरविंद शर्मा 2019 में रोहतक से सांसद चुने गए थे। वह ब्राह्राण समुदाय से आते हैं। 

श्याम सिंह राणा भी बने कैबिनेट मंत्री
राजपूत समुदाय से आने वाले श्याम सिंह राणा पहली बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। वह यमुनानगर के रादौर सीट से विधायक बने हैं। रादौर सीट कांग्रेस से छीनकर उन्होंने बीजेपी की झोली में डाली जिसका फल उन्हें मंत्री पद के रुप में मिला। इससे पहले वह 2014 में भी यहां से विधायक बने थे। खट्टर सरकार में वह मुख्य संसदीय सचिव भी बनाए गए थे।

रणबीर गंगवा को भी बनाया गया मंत्री
रणबीर गंगवा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में वह डिप्टी स्पीकर थे। गंगवा हिसार जिले की बरवाला सीट से विधायक हैं। वह नलवा से भी विधायक रह चुके हैं। 2010 में वह इनेलो के टिकट पर राज्यसभा सांसद चुने गए थे। 2014 में उन्होंने इनेलो के टिकट पर नलवा सीट जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी के टिकट पर नलवा से लड़े और जीत भी दर्ज की। इस तरह गंगवा लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। दो बार बीजेपी के टिकट पर विधायक बने। रणबीर गंगवा ओबीसी समुदाय से आते हैं। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 14:53

'संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी 






ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।


अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया। 


विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं। 


वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन 

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा। 

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।  

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो। 


कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक,  वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा। 

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 14:53

अरुणकुमार नंबूदरी बने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी, जानिए, क्या है चयन प्रक्रिया और कैसे किया गया चयन





केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी के रूप में एस अरुणकुमार नंबूदरी को चुना गया है। अरुणकुमार, जो कि कोल्लम के शक्तिकुलंगरा के निवासी हैं, 15 नवंबर को सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मेलशांति (मुख्य पुजारी) का कार्यभार संभालेंगे। इससे पहले वे तिरुवनंतपुरम के अट्टुकल मंदिर में भी मुख्य पुजारी रह चुके हैं।


अरुणकुमार ने पुजारी चुने जाने पर खुशी जताते हुए इसे भगवान अयप्पा की कृपा बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस खबर की जानकारी सुबह की पूजा के बाद मिली। उनका नाम पिछले छह साल से ड्रा में था, और उन्होंने इस मौके का धैर्यपूर्वक इंतजार किया। अरुणकुमार का कहना है कि उन्होंने बचपन से भगवान अयप्पा की सेवा का संकल्प लिया है और वे अपना पूरा जीवन इसी में समर्पित करेंगे। त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) ने कुल 24 पुजारियों के पैनल से अरुणकुमार को ड्रा के जरिए सबरीमाला मंदिर का मुख्य पुजारी चुना है। इसी तरह, कोझिकोड के वासुदेवन नंबूदरी को मलिकप्पुरम देवी मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में चुना गया है। दोनों पुजारी अगले साल तक अपने पदों पर रहेंगे।

यह चयन प्रक्रिया पंडालम राजपरिवार के ऋषिकेश वर्मा के द्वारा लकी ड्रॉ के माध्यम से की गई, जिसमें पर्ची राजपरिवार की वैष्णवी द्वारा निकाली गई। अरुणकुमार अयप्पा मंदिर के 16वें मेलशांति बने हैं। वे बचपन से ही मंदिर के माहौल में पले-बढ़े हैं, क्योंकि उनके पिता भी श्री धर्म सष्णा मंदिर में पुजारी थे, और अरुणकुमार उन्हें पूजा में सहायता करते थे। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 14:52

विश्व में वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक बना भारत: 50% टीका भारत में बना

भारत ने पिछले एक साल में विश्व के आधे टीके तैयार किए जिसमें कुल 8 अरब खुराकों में से 4 अरब खुराक भारत में बनीं. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलिला श्रीवास्तव ने अमेरिका-भारत स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम द्वारा आयोजित इंडिया लीडरशिप समिट 2024 में दी. उन्होंने कहा कि भारत फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है और यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और जेनरिक दवाओं का प्रमुख सप्लायर है. बता दें कि भारत जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी तब भी वह भारत में निर्मित वैक्सीन को दुनिया के लिए दे रहा था. कई देशों को भारत ने मुफ्त में वैक्सीन मुहैया कराई थी.

पुन्या ने बताया कि भारतीय 
मेडिसिन इंडस्ट्री ने ग्लोबल हेल्थ सिस्टम को बड़ी मात्रा में सेविंग कराई है. वर्ष 2022 में भारतीय कंपनियों द्वारा उत्पादित दवाओं ने अमेरिकी हेल्थ सिस्टम को 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत दी. 2013 से 2022 तक यह बचत 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रही.

आधा टीका बनाता है भारत

टीके निर्माण में भी भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी है. विश्व में निर्मित कुल टीकों का 50 प्रतिशत भारत से आता है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि भारत में चिकित्सा शिक्षा में सुधार लाया गया है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और अन्य विधियों को लागू किया गया है. इससे चिकित्सा और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या और नामांकन में वृद्धि हुई है, जिससे स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता में सुधार हुआ है.

दोनों देशों को हो रहा फायदा

भारत-अमेरिका स्वास्थ्य साझेदारी पर बोलते हुए पुन्या ने कहा कि दोनों देशों ने महामारी से निपटने और एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के क्षेत्र में मजबूत सहयोग स्थापित किया है. उन्होंने अमेरिका-भारत कैंसर मूनशॉट डायलॉग का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देना है.

भारत ने ‘वन वर्ल्ड, वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कैंसर परीक्षण और निदान के लिए 7.5 मिलियन डॉलर का अनुदान भी प्रदान किया है, साथ ही 40 मिलियन वैक्सीन खुराकों का योगदान भी किया है. 

UPfinance45

Oct 17 2024, 14:20

जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय बैठक की, अधिकारियों को दिए यह सख्त निर्देश

डेस्क : बिहार में एकबार फिर जहरीली शराब के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत का मामला सामने आया है। प्रदेश के सीवान और सारण जिले में पिछले 48 घंटों के दौरान जहरीली शराब कम से कम 27 लोगों की मौत की खबर है। वहीं दर्जनों लोगों के अभी भी बीमार हालत में अस्पताल में दाखिल होने की बातें सामने आई हैं।

इधर इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज गुरुवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। समीक्षा के पश्चात् मुख्यमंत्री ने मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे घटनास्थल पर जाकर पूरी स्थिति की जानकारी लेकर सभी बिन्दुओं पर सघन जांच करें। मुख्यमंत्री ने ए०डी०जी० (प्रोहिबिशन) की पूरी टीम को घटनास्थल पर जाकर उसकी सघन जांच कर इस कांड में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि पूरे घटनाक्रम की अपने स्तर से लगातार मॉनीटरिंग करते रहें और इस घटना के लिये जो भी दोषी हों उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने राज्य के लोगों से अपील करते हुये कहा कि शराब पीना बुरी बात है, यह लोगों को समझना चाहिये। शराब पीने से न सिर्फ स्वास्थ्य खराब होता है बल्कि परिवार और समाज में अशांति का माहौल भी उत्पन्न होता है। राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू है। इसका सभी लोग पालन कर रहे हैं। कुछ असमाजिक तत्व समाज में अशांति पैदा करना चाहते हैं, उनसे लोग सतर्क रहें।

गौरतलब है कि छपरा और सिवान के 16 गांवों में जहरीली शराब का कहर टूटा है। दावा किया गया है कि भगवानपुर हाट मेले में बेची गई स्प्रिट से बनी शराब को पीकर लोग बीमार हुए। वहीं दो गांवों में मछली पार्टी भी हुई ओर लोगों ने शराब भी पी। बाद में बुधवार को कई लोगों की तबीयत बिगड़ी और मीडिया रिपोर्ट में 27 लोगों ने अब तक दम तोड़ दिया है। वहीं 19 लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई है। घटना के बाद छपरा के मशरक थानाध्यक्ष सहित 5 पुलिसवालों को सस्पेंड किया गया है। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 14:20

बिहार के इन पांच जिलों के DEO पर विभागिए कार्रवाई की सिफारिश, जानिए क्या है वजह

डेस्क : बिहार के बांका, जमुई, पटना, सहरसा और सिवान जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी पर विभागिए कार्रवाई की सिफारिश की गई है। बताया जा रहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन समय से नहीं मिल पा रहा है। इन जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) पर आरोप है कि उन्होंने शिक्षकों का आधार वेतन, महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते समय पर नहीं दिए हैं। विशेष रूप से, अस्थायी शिक्षकों और अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों का मानदेय लंबे समय से रुका हुआ है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के अपर सचिव संजय कुमार ने बार-बार स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी जिलों में शिक्षकों का वेतन हर महीने के पहले हफ्ते में अवश्य दे दिया जाए। लेकिन, इन जिलों के DEO ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया। 8 अक्टूबर को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में पाया गया कि कई जिलों में सितंबर महीने का वेतन अभी तक नहीं दिया गया था। इसके बाद संबंधित अधिकारियों को 9 अक्टूबर तक वेतन वितरण करने का आदेश दिया गया था। हालांकि, 15 अक्टूबर को हुई एक और बैठक में पता चला कि कई जिलों में, खासकर बांका, जमुई, पटना, सहरसा और सिवान में, वेतन भुगतान अभी भी लंबित है।

वेतन भुगतान में इस तरह की देरी के कारण शिक्षकों और कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। कई शिक्षक परिवारों के पालन-पोषण के लिए कर्ज लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे न केवल उनका मनोबल गिर रहा है बल्कि उनके कार्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ एस सिद्दार्थ इस लापरवाही से काफी नाराज है। विभाग ने इन जिलों के DEO के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। साथ ही, विभाग यह भी जांच कर रहा है कि आखिर क्यों इन जिलों में वेतन भुगतान में इतनी देरी हो रही है। क्या यह तकनीकी समस्या है, वित्तीय अड़चन है, या फिर प्रशासनिक लापरवाही? भविष्य में इस तरह की स्थिति न आए, इसके लिए शिक्षा विभाग कुछ कड़े कदम उठाने की योजना बना रहा है। इसमें संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ वेतन भुगतान की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के उपाय भी शामिल हैं। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 13:55

बिहार: सीतामढ़ी में थानाध्यक्ष का शव मिलने से प्रशासन में हड़कंप


पटना के नेपाल से सटे सीमावर्ती जिले सीतामढ़ी में थानाध्यक्ष का शव मिलने से प्रशासन में हड़कंप मच गया. सीतामढ़ी में बुधवार ( 16 अक्टूबर) देर रात बैरगनिया थाना के थानाध्यक्ष का शव फंदे से लटका मिला, जिसके बाद पुलिस प्रशासन में सनसनी मच गई. सीतामढ़ी के बैरगनिया थाना प्रभारी कुंदन कुमार बिहार पुलिस के 2009 बैच के इंस्पेक्टर थे. घटना के बाद आला अधिकारी जांच में जुटे हुए हैं.

पुलिस से मिली जानकारी के बाद कुंदन कुमार के शव पर गमछे के फंदा लगा हुआ मिला. घटना बुधवार ( 16 अक्टूबर) देर रात की बताई जा रही है. शव मिलने के बाद सीतामढ़ी जिले के एसपी मनोज कुमार तिवारी, डीएसपी राम कृष्ण सहित पुलिस पदाधिकारी मौके पर पहुंचे. कुंदन कुमार इससे पहले मुजफ्फरपुर में सदर थानेदार के पद पर थे. इसके बाद वहा से ट्रांसफर होकर सीतामढ़ी आए थे.

पोस्टमार्टम के बाद होगी आगे की जांच


घटना के बारे में जानकारी देते हुए सदर डीएसपी रामकृष्ण ने बताया कि शाम करीब 10:45 बजे सूचना मिली कि थाना प्रभारी का शव उनके आवासीय कमरे में पाया गया है. सूचना मिलने के बाद मामले की जांच के लिए एसपी के नेतृत्व में हम लोग यहां आए हैं. मामले की जांच की जा रही है. ऐसे में क्या हुआ है? यह बताना अभी उचित नहीं लग रहा है. एफएसएल की टीम आ रही है. उसके बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई होगी, जिसके बाद कुछ बताया जा सकता है. उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी से शाम तक बात हुई है. वह दिन में काम करने भी निकले थे. उनसे रोज बात होती थी. शाम के बाद से उनकी उनसे बातचीत नहीं हुई थी. घटना की पुष्टि रात में हुई है.

दिन में गिरोह का किया था पर्दाफाश

मिली खबर के अनुसार कुंदन कुमार की गिनती बिहार पुलिस के कडक, अनुशासनप्रिय और तेज तर्रार अधिकारी में होती थी. बुधवार की रात में जब उनकी संदिग्ध हालात में मौत की खबर आई, उसी दिन उन्होंने एक बड़े मोबाइल चोरों के गिरोह को कानून के शिकंजे में लिया था. इस दौरान कुंदन ने करीब 40 मोबाइल फोन को भी बरामद किया था.ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस गिरोह के तार भारत के साथ नेपाल से भी जुड़े हुए हैं और गिरोह का कुंदन की मौत में हाथ हो सकता है. 

UPfinance45

Oct 17 2024, 13:44

अनुपम खेर की तस्वीर वाले नकली नोट से ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश,तीन गिरफ्तार

अहमदाबाद में अनुपम खेर की तस्वीर वाले 500 रुपये के नकली नोट देकर ठगने वाले मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. इस मामले में पुलिस ने एक्शन लेते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों ने करीब 1.5 करोड़ रुपये के सोने के बदले नकली नोट देकर भाग गए थें. इस मामले में क्राइम ब्रांच कार्रवाई करते हुए 1.37 करोड़ रुपये का सोना भी बरामद कर लिया है.

पुलिस तीनों आरोपियों की पहचान भी कर ली है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दीपक राजपूत (32), नरेंद्र जादव (36) और कल्पेश मेहता (45) के रूप में हुई है. ये तीनों अहमदाबाद के ही रहले वाले हैं. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने सोना खरीदने के नाम पर नकली नोटों का इस्तेमाल कर ठगी की थी. फिलहाल पुलिस अब जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह ने और किसी के साथ भी ठगी की है. साथ ही ये भी देखा जा रहा है कि इस धोखाधड़ी में और कितने लोग शामिल हैं.

क्या है पूरा मामला?
मामला 24 सितंबर का है जब अहमदाबाद के सर्राफा व्यापारी मेहुल ठक्कर से सोना खरीदने के लिए आरोपियों ने संपर्क किया था. 2.1 किलोग्राम सोने की डील 1.60 करोड़ रुपये में तय हुई थी. ठक्कर ने सीजी रोड स्थित अपने अंगड़िया कार्यालय में इस डील को फाइनल किया. जहां पर व्यापारी को पैसे दिए जाने थे. जब ठक्कर के कर्मचारी वहां पहुंचे, तो वहां तीन लोग पहले से ही नकदी गिनने की मशीन लेकर मौजूद थे.

इनमें से दो आरोपियों ने सोना इकट्ठा किया और 500 रुपये के नकली नोटों के 26 बंडल ठक्कर के कर्मचारियों को थमा दिए. ठगों ने कहा कि बाकी 30 लाख रुपये की रकम बगल के ऑफिस से लाएंगे और इसके बाद वे सोना लेकर मौके से फरार हो गए. इसके बाद सर्राफा व्यापारी मेहुल ठक्कर ने नवरंगपुरा थाने में शिकायत दर्ज कराई. ठक्कर ने बताया कि 500 रुपये के नकली नोटों पर अभिनेता अनुपम खेर की तस्वीर छपी हुई थी. पुलिस को जब यह शिकायत मिली, तो उन्होंने फौरन मामले की जांच शुरू की.
बाकी संदिग्धों की तलाश में पुलिस
इस तरह की ठगी में नकली नोटों का इस्तेमाल होना नई बात नहीं है, लेकिन अभिनेता अनुपम खेर की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोटों का इस्तेमाल कर ठगी करना बेहद चौंकाने वाला है. पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि यह नकली नोट कहां से आए और इन्हें छापने में कौन-कौन शामिल है. इसके साथ ही पुलिस बाकी संदिग्धों की तलाश में भी जुटी है.

इस मामले के बाद से सभी व्यापारी अब और सतर्क हो गए हैं और ठगी से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं. साथ ही पुलिस ने कहा कि ऐसे बड़े लेन-देन में सतर्क रहें और नकद लेन-देन करते समय सभी सुरक्षा उपायों का पालन करें. 

UPfinance45

Oct 17 2024, 13:44

उत्तराखंड में खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा कदम, थूक लगाने वालों के खिलाफ 25,000 से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना"

उत्तराखंड में खाने-पीने की चीजों पर थूक लगाने वालों के खिलाफ अब बड़ी कार्रवाई होगी. पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसको लेकर गाइडलाइन जारी की है. इसके मुताबिक दोषी पाए जाने पर 25000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. हाल ही में देहरादून और मसूरी में होटल और ढाबा जैसी जगहों पर खाने-पीने की चीजों में थूकने की घटना सामने आई थी. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस पर सीएम धामी ने संज्ञान लेते हुए एफडीए और पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड इस तरह की घटनाओं को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सघन जांच हो और दोषियों को सजा मिले. वहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि त्योहारों का सीजन आ रहा है. ऐसे में किसी भी प्रकार की अशुद्धता या असामाजिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शुद्धता और सुरक्षा सरकार की सर्वाच्च प्राथमिकता है.

दरअसल, मसूरी में लाइब्रेरी चौक पर चाय की रेहड़ी लगाने वाले दो भाइयों नौशाद अली और हसन अली को चाय के बर्तन में थूकने और उसे ग्राहकों को पिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दोनों भाई उत्तर प्रदेश के मुजफफरनगर जिले के खतौली के रहने वाले हैं.

SOP में क्या?
एसओपी में कहा गया कि सभी ढाबों, होटलों तथा रेस्टोरेंट में सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था करनी होगी. प्रत्येक मीट विक्रेता, मीट कारोबारी, होटल और रेस्टूरेंट में हलाल और झटका को अनिवार्य रूप से लिखना पड़ेगा. अनुपालन न किए जाने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के प्राविधानों के अंतर्गत विधिक कार्यवाही की जाएगी 

UPfinance45

Oct 17 2024, 13:43

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई न्याय की देवी की नई मूर्ति, आंखों की पट्टी खुली और हाथ में संविधान"

सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की मूर्ति लगाई गई. इस मूर्ति में नई बात यह है कि पहले न्याय की देवी की मूर्ति में जहां एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार होती थी और आंखों पर पट्टी होती थी, अब नए भारत की न्याय की देवी की आंखों की पट्टी खुल गई है. यहां तक कि उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है.

कुछ समय पहले ही अंग्रेजों के कानून बदले गए हैं. अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश युग को पीछे छोड़ते हुए नया रंग-रूप अपनाना शुरू कर दिया है. ये सब कवायद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की है. उनके निर्देश पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है. ऐसी ही स्टैच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है.

हाथ में तलवार की जगह संविधान
इस तरह देश की सर्वोच्च अदालत ने संदेश दिया है कि अब ‘कानून अंधा’ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाई गई है और हाथ में तलवार की जगह संविधान को जगह दी गई है. मूर्ति के हाथ में तराजू का मतलब है कि न्याय की देवी फैसला लेने के लिए मामले के सबूतों और तथ्यों को तौलती है. तलवार का मतलब था कि न्याय तेज और अंतिम होगा.


अभी तक न्याय की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी थी. एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार थी. इससे जुड़ा मुहावरा सुर्खियों में रहता है कि ‘कानून अंधा होता है’. अदालतों में दिखने वाली मूर्ति को लेडी जस्टिस मूर्ति कहा जाता है. इस मूर्ति को मिस्र की देवी मात और ग्रीक देवी थेमिस के नाम से जाना जाता है.

थेमिस को कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता
इसे सद्भावना, न्याय, कानून और शांति व्यवस्था जैसी विचारधाराओं का प्रतीक माना जाता है. ग्रीस में थेमिस को सच्चाई और कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है. किंवदंती के मुताबिक, डिकी जूस की बेटी थी. वो इलाके के लोगों के साथ न्याय करती थी. वैदिक संस्कृति में डिओस द्वारा ज़ीउस को प्रकाश और ज्ञान का देवता बृहस्पति कहा जाता था. जस्टिसिया देवी डिकी का रोमन विकल्प थी.

डिकी को आंखों पर पट्टी बांधे हुए दिखाया गया. न्याय की देवी हाथों में तराजू और तलवार लिए महिला न्यायधीश, आंखों पर पट्टी बांधकर न्याय व्यवस्था को नैतिकता का प्रतीक माना जाता है. जिस प्रकार ईश्वर बिना किसी भेदभाव के समान न्याय देता है, उसी प्रकार यह न्याय की देवी भी देती है.