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Oct 17 2024, 13:43

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई न्याय की देवी की नई मूर्ति, आंखों की पट्टी खुली और हाथ में संविधान"

सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की मूर्ति लगाई गई. इस मूर्ति में नई बात यह है कि पहले न्याय की देवी की मूर्ति में जहां एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार होती थी और आंखों पर पट्टी होती थी, अब नए भारत की न्याय की देवी की आंखों की पट्टी खुल गई है. यहां तक कि उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है.

कुछ समय पहले ही अंग्रेजों के कानून बदले गए हैं. अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश युग को पीछे छोड़ते हुए नया रंग-रूप अपनाना शुरू कर दिया है. ये सब कवायद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की है. उनके निर्देश पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है. ऐसी ही स्टैच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है.

हाथ में तलवार की जगह संविधान
इस तरह देश की सर्वोच्च अदालत ने संदेश दिया है कि अब ‘कानून अंधा’ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाई गई है और हाथ में तलवार की जगह संविधान को जगह दी गई है. मूर्ति के हाथ में तराजू का मतलब है कि न्याय की देवी फैसला लेने के लिए मामले के सबूतों और तथ्यों को तौलती है. तलवार का मतलब था कि न्याय तेज और अंतिम होगा.


अभी तक न्याय की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी थी. एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार थी. इससे जुड़ा मुहावरा सुर्खियों में रहता है कि ‘कानून अंधा होता है’. अदालतों में दिखने वाली मूर्ति को लेडी जस्टिस मूर्ति कहा जाता है. इस मूर्ति को मिस्र की देवी मात और ग्रीक देवी थेमिस के नाम से जाना जाता है.

थेमिस को कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता
इसे सद्भावना, न्याय, कानून और शांति व्यवस्था जैसी विचारधाराओं का प्रतीक माना जाता है. ग्रीस में थेमिस को सच्चाई और कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है. किंवदंती के मुताबिक, डिकी जूस की बेटी थी. वो इलाके के लोगों के साथ न्याय करती थी. वैदिक संस्कृति में डिओस द्वारा ज़ीउस को प्रकाश और ज्ञान का देवता बृहस्पति कहा जाता था. जस्टिसिया देवी डिकी का रोमन विकल्प थी.

डिकी को आंखों पर पट्टी बांधे हुए दिखाया गया. न्याय की देवी हाथों में तराजू और तलवार लिए महिला न्यायधीश, आंखों पर पट्टी बांधकर न्याय व्यवस्था को नैतिकता का प्रतीक माना जाता है. जिस प्रकार ईश्वर बिना किसी भेदभाव के समान न्याय देता है, उसी प्रकार यह न्याय की देवी भी देती है. 

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Oct 17 2024, 13:43

विराट कोहली ने तोड़ा धोनी का रिकॉर्ड, बने भारत के लिए सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलने वाले खिलाड़ी

विराट कोहली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में एमएस धोनी का एक बड़ा रिकॉर्ड तोड़ दिया है. टॉस जीतने के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने जैसे ही प्लेइंग इलेवन का ऐलान किया, उसी के साथ विराट कोहली के नाम भी एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई. अब आप सोच रहे होंगे कि भारतीय प्लेइंग इलेवन के ऐलान का विराट कोहली के बनाए रिकॉर्ड से क्या लेना-देना? दरअसल, इसका कनेक्शन ये है कि अगर विराट कोहली न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं होते तो वो धोनी के रिकॉर्ड को बेंगलुरु में नहीं तोड़ पाते. कोहली ने बेंगलुरु में धोनी का जो रिकॉर्ड तोड़ा है वो भारत के लिए सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलने वाले खिलाड़ी से जुड़ा है.

विराट ने तोड़ा धोनी का बड़ा रिकॉर्ड


भारत के लिए सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर का है, जिन्होंने अपने करियर में 664 मैच खेले. उसके बाद 535 मैचों के साथ एमएस धोनी इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर थे. लेकिन, न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के लिए मैदान पर उतरते ही विराट कोहली ने धोनी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है. न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु में खेला जा रहा पहला टेस्ट विराट कोहली के करियर का 536वां इंटरनेशनल मैच है.

टॉप 5 में रोहित शर्मा का भी नाम


सचिन, विराट और धोनी के अलावा राहुल द्रविड़ एकमात्र ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 500 या उससे ज्यादा इंटरनेशनल मैच भारत के लिए खेले हैं. भारत के लिए 504 इंटरनेशनल मैच खेलकर द्रविड़ चौथे स्थान पर हैं. वहीं टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट उनके करियर का 486वां इंटरनेशनल मैच है. रोहित शर्मा सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेलने वाले भारतीय खिलाड़ियों में 5वें स्थान पर हैं.

बेंगलुरु टेस्ट की पहली पारी में विराट कोहली नाकाम

न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में धोनी को सबसे ज्यादा मैच खेलने के मामले में पीछे करने वाले विराट कोहली के प्रदर्शन की बात करें तो वो 9 गेंदों का सामना करने के बाद खाता भी नहीं खोल पाए. लंबे समय के बाद नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने उतरे विराट का प्रदर्शन एक बार फिर से खराब रहा. 

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Oct 17 2024, 13:42

सलमान खान के फार्म हाउस की रेकी करने वाला शूटर गिरफ्तार, लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा

महाराष्ट्र की नवी मुंबई पुलिस ने सलमान खान के फार्म हाउस की रेकी करने वाले शूटर को गिरफ्तार किया है. शूटर सुक्खा को मुंबई पुलिस ने हरियाणा के पानीपत से पकड़ा है. मुंबई लाने पर उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा. उसके खिलाफ नवी मुंबई में एफआईआर दर्ज है. वह उन आरोपियों में शामिल है, जिसने सलमान खान के नवी मुंबई के पनवेल स्थित फार्म हाउस की रेकी की थी. पकड़ा गया शूटर लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा हुआ है.

नवी मुंबई पुलिस ने बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की हत्या की साजिश रचने के मामले में लॉरेंस गैंग का शूटर सुक्खा को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि करते हुए बताया कि सुक्खा को हरियाणा के पानीपत से पकड़ा है. नवी मुंबई लाए जाने के बाद उसे गुरुवार को एक अदालत में पेश किया जाएगा. पुलिस ने बताया कि शूटर को गिरफ्तार करने के लिए मुंबई पुलिस बुधवार रात करीब साढ़े 10 बजे पानीपत पहुंची थी.

दाढ़ी-बाल बढ़ाकर छिपा था होटल में
मुबंई पुलिस ने पानीपत के सेक्टर 29 थाना पुलिस का सहयोग लिया और ज्वाइंट ऑपरेशन में अनाज मंडी कट स्थित अभिनंदन होटल से शूटर को गिरफ्तार किया. अभिनंदन होटल में टीम ने दबिश दी. यहां 104 नंबर कमरे से शूटर सुक्खा को दबोच लिया गया. वह पानीपत के रेरकला गांव का रहने वाला है. गिरफ्तार किए गए बाकी 5 आरोपियों से पूछताछ में सुक्खा का नाम सामने आया था, जिसके बाद उसका मोबाइल नंबर समेत सोशल मीडिया अकाउंट आइडी व अन्य डिटेल मुंबई पुलिस जुटा रही थी, लेकिन वह ट्रेस नही हो रहा था.


लॉरेंस ने सौंपा था सलमान के घर फायरिंग का काम
सुक्खा लगातार लोकेशन बदल रहा था. आखिर कार उसकी लोकेशन मिलते ही पुलिस पानीपत पहुंची और होटल पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया. पुलिस सुक्खा पुराना रिकॉर्ड खंगाल रही है. सुक्खा ने दाढ़ी और बाल बढ़ाए हुए थे, जिससे उसे पहचाना न जा सके. जानकारी के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई ने उसे सलमान के घर पर गोलीबारी करने का काम सौंपा था. इस बीच गिरोह के कुछ सदस्य पुलिस की गिरफ्त में आ गए जिसके कारण सुक्खा भाग गया था. सुक्खा को ऐसे समय अरेस्ट किया गया है, जब पुलिस एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हाल ही में हुई हत्या की जांच कर रही है. 

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Oct 17 2024, 13:42

भगवान शिव का एक अनोखा शिवालय, जहां चिता की आग से जलाई जाती है आरती की ज्योत"

वैसे तो उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती होती है और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भी आरती के लिए चिता की अग्नि का इस्तेमाल किया जाता है। भगवान शंकर के ये दोनों ही मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त अगर देश में कोई अन्य ऐसा शिवालय है जहां आरती की ज्योत प्रज्जवलित करने के लिए जलती हुई चिता की लकड़ी का सहारा लिया जाता है, तो वह है कोलकाता के नीमतल्ला घाट के समीप बना बाबा भूतनाथ मंदिर।

जी हां, बाबा भूतनाथ मंदिर भले ही द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल न हो, इसके बावजूद यह शिवभक्तों की अटूट आस्था और विश्वास का केंद्र है। जानकारों के अनुसार मंदिर करीब सवा 300 साल पुराना है, जिसकी स्थापना नीमतल्ला श्मशान घाट पर रहने वाले एक अघोरी बाबा ने की थी। शुरूआती दिनों में मंदिर के नाम पर केवल एक शिवलिंग था और अघोरी बाबा के अलावा आसपास के अन्य लोग जलाभिषेक व पूजा-अर्चना करते थे।


भूतनाथ मंदिर का इतिहास खंगालने पर पता चला है कि बिल्कुल श्मशान भूमि पर ही शिवलिंग यानी मंदिर बना हुआ था इसीलिए आरती के वक्त जब ज्योति प्रज्जवलन की जरूरत होती थी तब पुजारी किसी भी जलती हुई चिता से एक लकड़ी उठा लेता था। यह प्रथा तब से आज तक जारी है।

गंगा नदी के पश्चिम किनारे पर बने भूतनाथ मंदिर के भव्य व दिव्य मंदिर के संचालन का जिम्मा हिंदू सत्कार समिति के पास है, जबकि प्रबंधन का कार्य मंदिर कमेटी देखती है। हिंदू सत्कार समिति के संयुक्त सचिव के मुताबिक 1932 से समिति ने मंदिर का संचालन अपने हाथों में लिया और साल-दर-साल मंदिर का विस्तार व प्रचार होता गया।

1940 में खड़ी की गई दीवार.

उनके अनुसार 1940 के आसपास कोलकाता नगर निगम की पहल पर मंदिर और श्मशान घाट के बीच एक दीवार खड़ी कर दोनों को पृथक किया गया। मंदिर स्थापना की निश्चित तिथि किसी के स्मरण में नहीं है, इसलिए मंदिर संचालन समिति, प्रबंधक कमेटी, पुजारी और नित्य आने वाले भक्तों की रजामंदी से अंग्रेजी नववर्ष के पहले दिन यानी पहली जनवरी को मंदिर का स्थापना दिवस मान लिया गया और इसी दिन मंदिर का वार्षिक उत्सव मनाया जाने लगा।

इसकी पूर्व संध्या यानी 31 दिसम्बर की रात मंदिर के समक्ष भजन-कीर्तन होता है, जिसमें लाखों भक्तों की मौजूदगी में देश के ख्याति प्राप्त भजन गायक अपनी-अपनी मधुर आवाज में बाबा के भजनों की गंगा प्रवाहित करते है। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन होता है और पूरे सावन महीने के दौरान भक्तों द्वारा अलौकिक श्रृंगार, संगीतमय भजन-कीर्तन और महारुद्राभिषेक कराया जाता है। हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से बीते दो साल सावन में होने वाले आयोजनों को स्थगित कर दिया गया था। कोरोना महामारी के दौरान पुजारीगण ही नियमित पूजा पाठ करते थे। मंदिर परिसर में भक्तों के प्रवेश पर राज्य प्रशासन और संचालन समिति द्वारा रोक थी।

भूतनाथ मंदिर के प्रति लोगों के विश्वास का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर परिसर में प्रवेश पर रोक के बावजूद भगवान शिव के अति प्रिय सावन महीने में रोजाना हजारों लोग मंदिर की चौखट पर माथा टेकने पहुंचते रहे। इस दफा कोरोना नियमों को मानकर सावन महोत्सव मनाया जा रहा है।

300 साल से जारी है क्रम

इसे बाबा भूतनाथ की कृपा से कम नहीं कहा जा सकता, कि मंदिर के स्थापना काल (सवा 300 साल पहले) से अभी तक मंगला आरती (सुबह 4 बजे) और संध्या आरती (शाम साढ़े 6 बजे) की ज्योत चिता की आग से प्रज्वलित हो रही है।

बाबा की आरती के वक्त पुजारी को कोई न कोई जलती चिता अवश्य मिल जाती है, जिसकी लकड़ी से दीपक की ज्योत जलाई जाती है। इतने लंबे इतिहास में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि आरती के वक्त किसी की चिता न जल रही हो।

चांदी की दीवार

अपने किसी मनोरथ के पूर्ण होने पर स्वेच्छा से मंदिर में श्रृंगार या विशेष पूजा के लिए भी भक्तों को अपनी बारी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। भक्तों में बाबा के प्रति विश्वास इस बात से पुख्ता होता है कि लाखों खर्च कर मंदिर परिसर की पूरी दीवार रजत (चांदी) से बनवाई गई है।

इसके अलावा नंदी, त्रिशूल, डमरू और अर्धनारीश्वर के अतिरिक्त भगवान शंकर के कई रूप चांदी के हैं, जिन्हें बारी-बारी से हर शाम सुसज्जित कर भक्तों के दर्शनार्थ शिवलिंग पर विराजित किया जाता है। इन सबसे अलग एक और बात, जो केवल भूतनाथ मंदिर में ही देखने को मिलेगी, वह यह कि सर्व भूतों के स्वामी भूतनाथ नमामि का यह मंदिर सातों दिन और चौबीसों घंटे खुला रहता है। कहते हैं कि नियमित रूप से इस मंदिर में आकर कपूर जलाने वाले और उसकी कालिख का टीका लगाने वाले भक्तों की बाबा हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। 

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Oct 17 2024, 13:41

न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को दिया बड़ा झटका, पहले 10 ओवर में गिरे 3 विकेट 

बेंगलुरू टेस्ट के दूसरे दिन बारिश रुकी तो खेल शुरू हुआ और लेकिन इसके बाद न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने खतरनाक गेंदों की बरसात कर दी. न्यूजीलैंड ने पहले 10 ओवर इतने बेहतरीन फेंके कि टीम इंडिया का बुरा हाल हो गया और उसके फैंस को 18 साल बाद ऐसा दिन देखना पड़ा.

 टीम इंडिया ने बेंगलुरू टेस्ट के पहले 10 ओवर में सिर्फ 12 रन बनाए और उसके 3 विकेट भी गिर गए. ये टीम इंडिया का पिछले 18 सालों में अपने घर पर पहले 10 ओवर में सबसे कम स्कोर है. इससे पहले साल 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में पहले 10 ओवर में 10 रन ही बनाए थे और उसका एक विकेट गिरा था. मतलब पिछले 23 सालों में टीम इंडिया के साथ अपने घर पर दूसरी बार इतना बुरा हाल हुआ है.

टीम इंडिया का टॉप ऑर्डर ढेर

बेंगलुरु टेस्ट की पहली पारी में पहले 10 ओवर में ही टीम इंडिया के तीन टॉप बल्लेबाज आउट हो गए. सबसे पहले कप्तान रोहित शर्मा का विकेट निकला. वो 2 रन बनाकर टिम साउदी की गेंद पर बोल्ड हुए. इसके बाद विराट कोहली ने विलियम ओरौर्के को अपना विकेट दिया. विराट तो खाता भी नहीं खोल पाए. इसके बाद सरफराज खान का भी यही हाल हुआ. ईरानी कप में दोहरा शतक जमाने वाले सरफराज खान तीसरी गेंद पर खाता खोले बिना आउट हो गए. उनका विकेट मैट हैनरी ने झटका.

टीम इंडिया का इतना बुरा हाल कैसे हुआ?
अब सवाल ये है कि टीम इंडिया का इतना बुरा हाल कैसे हुआ? क्या भारतीय बल्लेबाजों ने खराब शॉट खेले या न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने कमाल गेंदबाजी की. वैसे सच बात ये है कि इसमें पिच का बेहद अहम रोल रहा . बेंगलुरु में पिछले दो दिन से बारिश हो रही थी और पिच को कवर्स से ढका गया था. इसके बावजूद टीम इंडिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी. पिच की नमी से गेंदबाजों को फायदा मिला और उन्हें एक्स्ट्रा बाउंस हासिल हुआ. इसके बाद न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों ने अपनी लेंग्थ एडजस्ट कर टीम इंडिया पर शॉर्ट बॉल से हमला किया और नतीजा न्यूजीलैंड ने टॉप ऑर्डर को धराशायी कर दिया. 

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Oct 17 2024, 13:26

15000 फीट की ऊंचाई पर मुख्य चुनाव आयुक्त रात भर फंसे रहे, खाली घर का ताला तुड़वाया गया, लकड़ियां जलाकर बिताई रात





डेस्क: मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को गुरुवार सुबह रेस्क्यू करके मुनस्यारी तहसील मुख्यालय लाया गया। वह पूरी तरह सुरक्षित हैं। बुधवार को खराब मौसम के चलते उनके हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने में परेशानी आ रही थी। इसके बाद इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। रात भर वह रालम गांव में रुके। इस दौरान गांव के एक घर का ताला तोड़ा गया। घर का मालिक कहीं बाहर पलायन कर चुका है। इसी घर में लकड़ियां जलाकर राजीव कुमार और हेलीकॉप्टर में मौजूद अन्य लोग बैठे रहे।

सुबह तीन बजे पास के गांव से ग्रामीणों की टीम रालम पहुंची और सुबह चार बजे तक आईटीबीपी की टीम भी मौके पर पहुंच गई। रालम गांव 15000 फीट की ऊंचाई पर है। इस वजह से रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आईं। हालांकि, सुबह उसी हेलीकॉप्टर से मुख्य चुनाव आयुक्त सहित अन्य लोगों को मुन्सियारी लाया गया।

बुधवार दोपहर देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई थी। खराब मौसम के चलते उनके हेलीकॉप्टर को मुनस्यारी के रालम में उतारा गया था। उनके साथ राज्य के उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे भी मौजूद थे। यह हेलीकॉप्टर पिथौरागढ़ से मिलम की ओर जा रहा था। फिर मिलम से नंदा देवी बेस कैम्प ट्रैकिंग के लिए जाने का प्लान था। इस बीच खराब मौसम के कारण दोपहर 1 बजे यह घटना हुई। 

राजीव कुमार देश के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। उन्होंने 15 मई 2022 को पदभार ग्रहण किया था और 18 फरवरी 2025 तक इस पद पर रहेंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के अधिकारी राजीव कुमार ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में 36 साल तक काम किया। 

केंद्र के कई मंत्रालयों के अलावा उन्होंने अपने बिहार-झारखंड कैडर में भी लंबे समय तक सेवाएं दीं। राजीव कुमार बीएससी के साथ एलएलबी, पीजीडीएम और लोक नीति से एमए भी किया है। कुमार के कार्यकाल में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव और कई विधानसभा चुनाव हुए। 

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Oct 17 2024, 12:39

भाजपा के चुनाव समिति की दिल्ली में हुई  बैठक  में झारखंड में  टिकट बंटबारे को लेकर सस्पेंस खत्म,67 सीट पर भाजपा लड़ेगी खुद चुनाव,

बाकी में मिलेगा  सहयोगी दलों को,कल तक जारी हो सकता है पहली लिस्ट

झारखंड डेस्क
झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है,इसके साथ हीं सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने लग गई हैं.

इस बीच जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार  बीजेपी जल्द ही अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है.  जानकारी के अनुसार कूल 81 सीटों में से भाजपा 67 सीटों पर  अपने उम्मीदवार उतारेगी, बाकी सभी सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ेगी.

 झारखंड में बीजेपी एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है. यहां उसका गठबंधन जेडीयू और आजसू के साथ है. कहा जा रहा है कि बीजेपी 11 सीटें आजसू और दो सीटें जेडीयू को दे सकती है. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के 22 मौजूदा विधायकों का टिकट बरकरार रखा जाएगा, जबकि 6 विधायकों का टिकट कटने वाला है. पार्टी ने 56 उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं.

कल तक भाजपा पहली  सूची करेगी जारी

बीते दिन दिल्ली में उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी चुनाव समिति की बैठक हुई. पार्टी मुख्यालय में सीईसी की करीब दो घंटे तक चली बैठक में झारखंड में चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई. इस बैठक में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष शामिल थे. बैठक में राज्य के चुनाव प्रभारी और झारखंड कोर टीम के सदस्यों के साथ उम्मीदवारों की संभावित नामों पर चर्चा की गई.

बीजेपी चुनाव समिति की दिल्ली में हुई बैठक

बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में झारखंड की लगभग सभी सीटों पर चर्चा हुई. करीब 12-13 सीटों पर नाम तय करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय नेतृत्व को दी गई है. बताया जा रहा है अगले दो दिनों में पार्टी झारखंड के लिए पहली सूची जारी कर सकती है. पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे के बाद उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है. पहली सूची में करीब 35 से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं.

पार्टी के लिए समर्पित बरीय नेताओं को मिलेगी प्राथमिकता

इस बार बीजेपी ने वरिष्ठ नेताओं और अन्य दलों से आए नेताओं को मैदान में उतारने का फैसला किया है. झारखंड के बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी सहयोगी आजसू को 11 सीटें देगी, जेडीयू को दो सीटें देगी और एलजेपी (रामविलास) नेता चिराग पासवान को चुनाव नहीं लड़ने के लिए राजी कर लिया गया है. यह तय करना केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है कि वे पासवान की पार्टी को एक सीट देने को तैयार है या नहीं.

सूत्रों का कहना है कि झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी धनवार विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अपनी सराय केला सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से उम्मीदवार बनाने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी अपनी चंदनकियारी सीट से चुनाव लड़ेंगे. 

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Oct 17 2024, 12:07

ct
नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, धारा 6A की वैधता बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए को संवैधानिक करार दिया है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया। 

सुप्रीम कोर्ट असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की सांविधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुनाया। इस धारा को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से संविधान मे शामिल किया गया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।

बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि धारा 6A का अधिनियमन असम के सामने आने वाली एक अनूठी समस्या का राजनीतिक समाधान था क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के भारी संख्‍या में यहां आने से इसकी संस्कृति और डेमोग्राफी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्‍ट पर कहा, केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि यह असम के लिए था। आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है। असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्योंकि असम का भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल से कम है।

नागरिकता कानून 1955 की धारा 6A क्या है?
यह धारा 1955 के अधिनियम में राजीव गांधी सरकार द्वारा 1985 में डाला गया एक विशेष प्रावधान है, जिसके तहत 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई। असम समझौते के बाद 1985 में लागू किए गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6A ने 1966-1971 के बीच भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों की नागरिकता पर रोक लगा दी और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया था। 

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Oct 17 2024, 12:00

चुनाव तिथि की घोषणा के बाद पोलटिकल पार्टी में बढ़ी हलचल, जल्द सीट शेयरिंग पर होगा फैसला,

झामुमो और भाजपा के पहली सूची की संभावित नामों की सूची, सोशल मीडिया पर हो रहा है वायरल

झारखंड डेस्क 
झारखंड में इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है। हालांकि चर्चा है कि एक दो दिनों में सीट शेयरिंग पर मुहर लग सकती है। 

 खबर ये भी है कि पिछली बार से अधिक सीटों पर झामुमो चुनाव लड़ सकता है। हालांकि अभी इसे लेकर कुछ भी अधिकारिक जानकारी नहीं सामने आयी है। 

झामुमो की तरफ से जो संकेत मिले हैं। उसके मुताबिक इंडिया ब्लॉक में सबसे ज्यादा सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पास रहेंगी। झामुमो अपने पास 45 से 48 सीटें रख सकता है। कांग्रेस के खाते में 28 से 31 सीटें आने की उम्मीद है। 

वहीं लेफ्ट 2 से 3 और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 3 से 4 सीटें मिल सकती हैं।

कांग्रेस की तरफ से सुबोध कांत सहाय ने चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि झारखंड में एलायंस तैयार है। जल्द बैठकर सीट शेयरिंग पर चर्चा कर ली जायेगी। 

इस बीच झारखंड की तरफ से संभावित प्रत्याशियों के नाम सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। माना जा रहा है कि झामुमो भी जल्द ही अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर देगा। इस बार पार्टियां अपने प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार का ज्यादा से ज्यादा मौका देना चाहती है, इसी बजह से भाजपा और झामुमो दोनों की तरफ से प्रत्याशियों की सूची जारी करने की जल्दबाजी दिख रही है। 

 झामुमों के संभावित नाम, जो हो रहे हैं वायरल 

झामुमो के उम्मीदवारों की पहली सूची 

बरहेट - हेमन्त सोरेन 

गांडेय - कल्पना सोरेन 

गिरिडीह - सोनू सुदिव्य 

सराईकेला - गणेश महली 

मझगांव - निरल पूर्ती 

चाईबासा - दीपक बिरुआ

 दुमका - बसंत सोरेन 

गुमला - भूषण तिर्की 

सिसई - झिगा सुसारण होरो 

मधुपुर - हफीजुल अंसारी 

सिमरिया - मनोज चंद्रा 

चंदनकियारी - उमाकांत रजक 

नाला - रबिन्द्र नाथ महतो 

तमाड़ - विकास मुंडा

 टुंडी - मथुरा महतो 

डुमरी - बेबी देवी 

गढ़वा - मिथिलेश ठाकुर 

भवनाथपुर - अनंत प्रताप देव 

लातेहार - बैद्यनाथ राम  


भाजपा की पहली सूची के कुछ संभावित प्रत्याशियों के नाम 

1. रांची - नवीन जायसवाल 
2. 
2. हटिया - अजय नाथ शाहदेव

3. कांके - कमलेश राम

4. दुमका - सुनील सोरेन 

5. हजारीबाग - प्रदीप प्रसाद 

   6 . बेरमो - रविंद्र पांडे

7. पोटका - मीरा मुंडा 

8 . मधुपुर - गंगा नारायण सिंह

9. झरिया - रागिनी सिंह

10. बोकारो - बिरंची नारायण
. 
11. कोडरमा - नीरा यादव 

12. बरकट्ठा - अमित यादव 
 
13 . जमुआ - डॉ मंजू 

14. बरही - मनोज यादव

15. चक्रधरपुर - शशिभूषण सामड 

16. जगन्नाथपुर - गीता कोड़ा 

17. बगोदर - नागेंद्र महतो 

18 . गांडेय - मुनिया देवी 

19. गिरिडीह- निर्भय शाहबादी

20. निरसा - अपर्णा सेनगुप्ता 

21. चंदनकियारी - अमर बाउरी

22. गुमला - सुदर्शन भगत

23. सिसई- अरुण उरांव

24. खिजरी - राम कुमार पाहन

25.  सरायकेला - चंपाई सोरेन 

26. राजधनवार - बाबूलाल मरांडी

27. राजमहल - अनंत ओझा

28. धनबाद - राज सिन्हा 

29. गोड्डा - अमित मंडल

30. महागामा - अशोक भगत

31. नाला: माधव महतो 

32. बिश्रामपुर- रामचन्द्र चंद्रवंशी

33. पलामू - आलोक चौरसिया

34. गढ़वा - सत्येद्र तिवारी

35. हुसैनाबाद - कमलेश सिंह

36. भवनाथपुर - भानु प्रताप शाही 

37. खूंटी - नीलकंठ सिंह मुंडा

38. सारठ - रणधीर सिंह 

जदयू 

जमशेदपुर (पश्चिम) - सरयू राय
तमाड़ - राजा पीटर
अन्य सीटों के आज लिस्ट आने की संभावना। 

UPfinance45

Oct 17 2024, 11:04

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जस्टिस संजीव खन्ना होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई चंद्रचूड़ ने की सिफारिश

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 10 नवंबर 2024 को वो रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश कर दी है। सीजेआई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जस्टिस खन्ना के नाम का प्रस्ताव रखा है। मोदी सरकार को भेजी गई सिफारिश में उन्होंने कहा है कि संजीव खन्ना देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे।

सरकार ने पिछले शुक्रवार को निवर्तमान सीजेआई को पत्र लिखकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार अपनी सिफारिश भेजने को कहा था।केंद्र सरकार ने स्थापित नियमों के तहत सीजेआई से पिछले शुक्रवार को अनुरोध किया था कि वह अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाएं। इसी के जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने संजीव खन्ना की सिफारिश की है।

केंद्र सरकार की ओर से सीजेआई चंद्रचूड़ की सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो जस्टिस खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक करीब 7 महीने का होगा।

जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका में अपनी निष्पक्षता और कानूनी विद्वता के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत होने से पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। उन्हें 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना को जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जब पदोन्नत किया गया तो उनकी नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया था। दअरसल, उम्र और अनुभव में उनसे अन्य सीनियर जज लाइन में होने के बावजूद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। 

जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हंसराज खन्ना के भतीजे हैं। उनके चाचा ने कई अहम फैसले सुनाए थे। इसके अलावा, जस्टिस संजीव खन्ना  के पिता जस्टिस देव राज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।