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Nov 25 2024, 16:30

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एलन मस्क ने क्यों की भारत में चुनाव की तारीफ, जानें क्या कहा?

माइक्रा ब्‍लॉगिंग साइट के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन एलन मस्क ने भारत की चुनाव व्यवस्था की तारीफ की है। यही नहीं मस्क ने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए हैं।मस्क ने कहा है कि भारत ने एक ही दिन में 64 करोड़ वोट गिनकर चुनाव का फैसला सुना दिया। वहीं अमेरिका के कैलिफोर्निया में अभी भी 5 नवंबर को हुए चुनावों के लिए गिनती जारी है। बता दें कि भारत में 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा समेत 13 राज्यों में विधानसभा उप-चुनावों की गिनती हुई। जिसको लेकर मस्क ने ये टिप्पणी की।

एलन मस्क ने भारत के इलेक्‍शन सिस्‍टम का जिक्र अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती 18 दिन बाद भी खत्‍म नहीं होने के संदर्भ में किया। मस्क सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट का जवाब दे रहे थे। इस न्‍यूज को शेयर करते हुए उन्‍होंने लिखा “भारत ने एक दिन में 640 मिलियन वोट कैसे गिने”। यूजर द्वारा किए गए पोस्ट के कैप्‍शन में कैलिफोर्निया के नतीजों पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया, “इस बीच भारत में, जहां धोखाधड़ी चुनावों का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है” पोस्ट का हवाला देते हुए, मस्क ने कहा, “भारत ने 1 दिन में 640 मिलियन वोट गिने। कैलिफोर्निया अभी भी वोटों की गिनती कर रहा है।” एलन मस्‍क ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट का जवाब दिया जिसमें कहा गया था, “भारत ने एक ही दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती की। कैलिफोर्निया अभी भी 15 मिलियन वोटों की गिनती कर रहा है…18 दिन बाद।

यूएस में वोटों की गिनती में क्यों लगता है समय?
बता दें कि अमेरिका में ज्यादातर वोटिंग बैलेट पेपर या ईमेल बैलेट से होती है। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में सिर्फ 5% क्षेत्रों में वोटिंग के लिए मशीन का उपयोग किया गया था। ऐसे में यहां काउंटिंग में काफी समय लगता है। कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 3.9 करोड़ लोग रहते हैं। 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनावों में 1.6 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। मतदान के दो हफ्ते बाद भी अभी तक लगभग 3 लाख वोटों की गिनती होना बाकी है। अमेरिका में हर साल वोटों की गिनती में हफ्ते लग जाते हैं। 

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Nov 25 2024, 16:29

माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध: हितधारकों को बेरोजगारी का डर, रोका गया काम 

जम्मू-कश्मीर में त्रिकुटा की पहाड़ियों पर विराजमान माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा.सोमवार लगातार चौथे दिन इस योजना के हितधारकों ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस के नेता भी हितधारकों के प्रदर्शन में शामिल रहे. हालात को देखते हुए ताराकोट मार्ग से सांझी छत के बीच 250 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रस्तावित रोपवे का काम रोक दिया गया है. बड़ा सवाल यह कि लोग इस रोपवे का विरोध क्यों क रहे हैं? इस सवाल का जवाब योजना के उद्देश्य में ही छिपा है.

दरअसल अभी माता वैष्णो देवी की चढ़ाई में कम से कम 7 घंटे लगते हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं को 13 किमी की दूरी या तो पैदल चलकर पूरी करनी होती है या फिर टट्टू या पालकी से जाना होता है. ऐसे हालात में कई बार श्रद्धालु ना तो पैदल चलने में समर्थ होते हैं और ना ही वह पालकी या टट्टू पर सवारी में ही सहज होते हैं. इसी समस्या के समाधान के तौर पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस रोपवे प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की योजना बनाई थी. बोर्ड का दावा है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने से माता मंदिर की दूरी महज एक घंटे की रह जाएगी.

श्रद्धालुओं को मिलेगी बेहतर सुविधा
श्रीमाता श्राइन बोर्ड के मुताबिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रोपवे में यात्रा करने से किसी श्रद्धालु को कोई दिक्कत भी नहीं होगी. बड़ी बात यह कि इस सुविधा से लोगों का समय और पैसा तो बचेगा ही, उन्हें किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी से भी नहीं जूझना होगा. बोर्ड के मुताबिक इस सुविधा से माता मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इससे यहां पर्यटन का दायरा भी बढ़ेगा. बावजूद इसके, योजना के हित धारक विरोध में हैं. इसलिए जरूरी है कि उनका भी दर्द समझ लिया जाए.

हितधारकों को सता रहा बेरोजगारी का डर
दरअसल योजना का विरोध करने वाले सभी हितधारक टट्टू वाले और पालकी वाले हैं. उन्हें डर है कि रोपवे प्रोजेक्ट आते ही वह बेरोजगार भी हो जाएंगे. उनका डर जायज भी है. अभी वह श्रद्धालुओं से मनमानी रकम वसूल करते हैं और यहां उनकी मोनोपॉली चलती है. वहीं जब रोपवे बन जाएगा तो लोग इनसे उलझने के बजाय रोपवे की सेवाएं लेना ज्यादा पसंद करेंगे. हितधारकों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह जामवाल ने भी इस आशंका को दोहराया. कहा कि रोपवे का काम दो साल में पूरा हो जाएगा. इसके बाद यहां सेवा देने वाले बेरोजगार हो जाएंगे. 

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Nov 25 2024, 16:29

केजरीवाल ने किया बड़ा एलान, में 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन, 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को मिलेगा लाभ, 

आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि 80 हजार नई वृद्धावस्था पेंशन खोली जा रही है. साल 2015 में जब हमारी सरकार बनी थी तब दिल्ली में 3 लाख 32 हजार बुजुर्गों को पेंशन मिलती थी. इसे बढ़ाकर पिछले 9 सालों में सवा लाख पेंशन और एड की गई हैं. फिलहाल दिल्ली में करीब साढ़े चार लाख बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है.

केजरीवाल ने कहा है कि अब दिल्ली के 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को पेंशन दी जाएगी. कई साल से ये पेंशन बंद थे, लंबे समय से ये मांग की जा रही थी. 60 से 69 साल के बुजुर्गों को अभी 2000 रुपए पेंशन मिलती है, जबकि 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को 2500 मिलते हैं. ये पेंशन देश में सबसे ज्यादा है. आप नेता ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि जहां डबल इंजन की सरकारें हैं वहां बुजुर्गों को 500-600 मिलते हैं, हमारी सिंगल इंजन की सरकार में 2500 रुपए मिलते हैं. केजरीवाल ने कहा कि बुजुर्गों के पेंशन रोकना पाप है, जेल से आते ही हमने इसे शुरू कराया है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने श्रवण कुमार की तरह दिल्ली के बुजुर्गों के लिए काम किया है. एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम शुरू हो रहे हैं. केजरीवाल ने दिल्ली के एक लाख बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाई हैं. बुजुर्गों की पेंशन काफी समय से रुकी हुई थी.

बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया- आतिशी
उन्होंने कहा कि दिल्ली के काम रोकने के लिए केंद्र और बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया क्योंकि जो काम वे दिल्ली के लोगों के लिए कर रहे थे वो बीजेपी अपने किसी राज्य में नहीं कर पा रही थी, लेकिन दिल्ली के लोगों के प्यार और आशीर्वाद से बीजेपी का षड्यंत्र फेल हो गया. केजरीवाल जेल से बाहर आ गए और एक के बाद एक दिल्ली के रुके हुए काम वो शुरू हो रहे हैं. वहीं, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल जब छोटे मुकदमे में जेल में थे तब तक दिल्ली के बुजुर्गों की पेंशन रोक दी गई थी. 24 घंटे में ही इसके लिए 10 हजार आवेदन भी आ गए हैं. 

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Nov 25 2024, 13:22

अब किसी तरह की गड़बड़ी करने पर जिलादबदर भी हो सकते है शिक्षक, शिक्षा विभाग बना रहा नया नियमावली 

डेस्क : अब किसी तरह की गड़बड़ी करने पर शिक्षक नप जाएंगे। वे जिलाबदर भी हो सकते हैं और दूसरे जिले में उनकी तैनाती की जा सकती है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए नई नियमावली बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। शीघ्र ही इसके अमल में लाने की भी तैयारी चल रही है।

नियमावली में संभावित गलतियां श्रेणीबद्ध की जाएगी और उसके मुताबिक नियमानुसार कार्रवाई भी तय होंगे। पहले उन्हें उनके मूल पदस्थापन क्षेत्र से हटना पड़ेगा। इस प्रस्ताव को विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ की भी हरी झंडी मिल चुकी है। शिक्षा विभाग गड़बड़ी करने वाले शिक्षकों के लेकर सख्त कार्रवाई के मूड में है। ऐसे शिक्षकों को विभाग किसी प्रकार की रियायत देने के लिए तैयार नहीं है। यदि शिक्षकों ने दी गयी जिम्मेवारियों का निर्वहन नहीं किया, तो उनके ऊपर गाज गिरनी तय है। हालांकि वे अपने ऊपर हुई कार्रवाई के खिलाफ मुख्यालय में अपील कर सकते हैं। यह सुविधा उन्हें दी जाएगी। 

विभागीय अधिकारी के अनुसार बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ाने, समय पर स्कूल नहीं आने पर शिक्षक कार्रवाई के दायरे में आएंगे। अपनी ड्यूटी अच्छे से नहीं करने, हेड मास्टर या विभाग के किसी पदाधिकारी द्वारा सौंपे गये टास्क को समयबद्ध होकर पूरा नहीं करने, जिम्मेदारी से भागने या जानबूझकर कोई की गई गड़बड़ियों को लेकर शिक्षक कार्रवाई के दायरे में आयेंगे। 

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Nov 25 2024, 13:21

उत्तर प्रदेश का दर्दनाक मामला: नहीं मिली कोई मदद… पत्नी की मौत के बाद ठेले पर शव रख 50 KM चला पति, बेटों ने नहीं दिया कंधा!

माता-पिता अपने बच्चों के लिए जी-जान लगा देते हैं. खूब मेहनत करते हैं और बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाने देते. उनकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं. बच्चों की हर जिद पूरी करते हैं लेकिन जब बच्चे बड़े होते हैं तो अक्सर कुछ बच्चे ये सब भूल जाते हैं कि उनके माता-पिता ने उनके लिए क्या-क्या किया. माता-पिता अपना फर्ज अच्छे से निभा लेते हैं लेकिन बच्चे बूढ़े माता-पिता का ख्याल रखने का अपना फर्ज भूल जाते हैं.

ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के मऊ से सामने आया है, जहां एक बूढ़ा शख्स अपनी पत्नी के शव को बलिया के नगरा से 50 किमी दूर रघौली तक पैदल लेकर पहुंचा. पति मजदूरी करके अपनी बीमार पत्नी का इलाज करा रहा था लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद घर ले जाने के लिए पति ने लोगों से अपील की लेकिन किसी ने उस बूढ़े व्यक्ति की मदद नहीं की. फिर वह ठेले पर अपनी पत्नी के शव को डालकर चल दिया. उसने बताया कि उनकी चार संतान हैं लेकिन सभी उनसे अलग रहती हैं.

अंतिम संस्कार का खर्चा


यह मामला दादनपुर का है, जहां रहने वाली महिला की बलिया के नगरा में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद उसका पति अपनी पत्नी के शव को लेकर पैदल चल दिया. हालांकि जब इस मामले की जानकारी पुलिस को हुई, तो घोसी के कोतवाल ने शव को उसके गांव दादनपुर अहिरौली भिजवाया. इसके साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार का भी पूरा खर्च उठाया.

झाड़-फूंक कराने के लिए कहा

गुलाबचंद्र शनिवार को अपनी पत्नी को दादनपुर से बलिया के नगरा लेकर पहुंचा था, लेकिन उसी दिन शाम को उसकी पत्नी ने दम तोड़ दिया. लोगों ने गुलाबचंद्र से उनकी पत्नी का झाड़-फूंक कराने के लिए कहा था. अपनी पत्नी को बचाने की उम्मीद में वो उसे नगरा ले गया था लेकिन उसकी पत्नी बच नहीं पाई. इसके बाद उन्होंने अस्पताल से वापस लाने के लिए अपने पत्नी के शव को ठेले पर रखा और 50 किलोमीटर दूर तक पैदल चले. 

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Nov 25 2024, 12:15

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सदन में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य, वायनाड से धमाकेदार जीत के बाद भाई-मां के साथ संसद में बैठेंगी प्रियंका

वायनाड संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धमाकेदार जीत दर्ज करने के साथ अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की है।  इसी के साथ प्रियंका गांधी आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के साथ संसद में एंट्री करेंगी। शीतकालीन सत्र के दौरान गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी भी नजर आएंगी। यह पहला मौका होगा जब प्रियंका एक सांसद के रूप में पार्लियामेंट में प्रवेश करेंगी।

संसद में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य
प्रियंका गांधी की संसद में एंट्री के साथ अब गांधी परिवार के तीन सदस्‍य लोकतंत्र के मंदिर में पहुंच गए हैं। यह पहला मौका है जब परिवार के तीन सदस्‍य एक साथ सदन में नजर आएंगे। केरल के वायनाड उपचुनाव में उनके निर्वाचन के बाद यह पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार तीन सदस्य होंगे। उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तथा मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं।
आजादी के बाद से गांधी परिवार के तीन सदस्य कभी एक साथ संसद में नहीं बैठे थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय भी ऐसा अवसर नहीं आया। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों ही अलग-अलग समय में प्रधानमंत्री रहे थे, लेकिन कभी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं थे। इस बदलाव ने गांधी परिवार के राजनीतिक महत्व को एक नया आयाम दिया है।

गांधी परिवार की चौथी महिला सांसद
प्रियंका संसद पहुंचने वाली गांधी परिवार की 9वीं सदस्य और चौथी महिला सदस्य हैं। प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी सियासत में उतर चुके हैं। गांधी परिवार की महिला के तौर पर इससे पहले उनकी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।

भाई ने बहन के लिए छोड़ी थी यह सीट
बता दें कि राहुल गांधी ने साल 2004 में कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी से पहला चुनाव लड़ा था। इस सीट से वह तीन बार सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हरा दिया था। 2019 में उन्होंने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था, वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन वायनाड से चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत लिया था। साल 2024 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली और वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद, जून में कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे, जहां से प्रियंका लड़ेंगी। इस सीट से राहुल लगातार दो चुनावों में जीते थे। लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। 

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Nov 25 2024, 12:14

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'जिन्हें जनता ने 80 बार नकारा, वो संसद का काम रोक रहे,' पीएम मोदी का विपक्ष पर जोरदार हमला

आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री मोदी मीडिया से रूबरू हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी का नाम लिए तंज कसते हुए कहा कि आज से शीतकालिन सत्र की शुरुआत हो रही है उम्मीद है माहौल भी शीत रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र कई मामलों में विशेष है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। हम चाहते हैं कि संसद में स्वस्थ्य चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में योगदान दें।

प्रधानमंत्री न विपक्ष पर निशाना साधते हुए संसद में चर्चा न होने देने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, मुट्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी से सदन को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से सफल होता नहीं। लेकिन उनकी ऐसी हरकतें देखकर जनता उन्हें नकार देती है। पीएम मोदी ने कहा कि इन लोगों को 80-90 बार जनता नकार चुकी है। 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद नए विचार और नई ऊर्जा लेकर आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में उनको बोलने का अवसर नहीं मिलता।लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम करना है अगली पीढ़ी को तैयार करें, लेकिन 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।' 

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Nov 25 2024, 12:14

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महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंसः नतीजों के दो दिन बाद भी जारी है मंथन, शिंदे-फडणवीस या होगा कोई तीसरा नाम

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अब साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार बनेगी। हालांकि, महायुति से राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बिराजेगा अभी तक ये साफ नहीं हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले सरकार गठित होनी है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। ऐसे में संभव है कि आज इस सस्पेंस से पर्दा हट जाएगा।

देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में हैं। महायुति में अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, पलड़ा देवेंद्र फडणवीस का भारी लग रहा है। इसकी वजह भी है। बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट अब भी सीएम पद को लेकर अडिग है।

दरअसल, महायुति में साथी बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस कारण बीजेपी के नेता चाहेंगे कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद पर बैठें। वहीं, शिवसेना के नेता चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर से सीएम बनें। वहीं, सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार की एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर सकती है।

महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुंबई से दिल्ली तक बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी नेताओं की अलग-अलग बैठकों का दौर जारी है। इसके साथ ही सीएम पद को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी शुरू हो गई है। एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना और पार्टी नेता प्रताप सरनाईक ने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहें।

इस बीच सरकार का चेहरा यानी मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार आज यानी सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। भाजपा आलाकमान के साथ मीटिंग के बाद सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। सीएम के नाम के ऐलान के बाद कल मुंबई, राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है। 

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Nov 25 2024, 12:13

शौक पूरे नहीं होने पर दो इंजीनियरों ने नौकरी छोड़कर बन गए साइबर ठग, मंत्री के साथ 2 करोड़ की ठगी कर फंसे,हुआ गिरफ्तार

लालच बुरी बला है… ये सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है लेकिन फिर भी कुछ लोग लालच के चलते उलटा काम करते हैं और फिर फंस जाते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां दो लोग इंजीनियर की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर फ्रॉड बन गए और लोगों को लूटने का काम करने लगे. क्योंकि नौकरी की सैलरी से उनके शौक पूरे नहीं हो पा रहे थे. फिर लालच में उन्होंने ठगी का काम करना शुरू कर दिया.

नौकरी छोड़कर ठग बनने वाले दोनों युवकों का खेल तब खत्म हुआ, जब वह कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ हुई 2 करोड़ से ज्यादा रुपये की ठगी के मामले पकड़े गए. दोनों युवक दिव्यांशु और पुलकित बीटेक पास हैं. दोनों ने तीन साल तक इंजिनीयर के पद पर जॉब की, लेकिन फिर बाद में साइबर ठग बन गए. दोनों के पिता गांव में खेती और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं.

टेलीग्राम के जरिए मिले थे
दिव्यांशु और पुलकित के लिंक विदेशों तक हैं. इनके गिरोह के सरगना विदेशों में बैठते हैं, जिनसे वह टेलीग्राम के जरिए मिले थे. हालांकि भारत में दिव्यांशु और पुलकित ही सरगना के तौर पर काम करते हैं. वह शिकार को खोजते हैं और लोगों को ठगने के बाद पैसे को विदेश में ट्रांसफर कर देते हैं. उन्होंने बताया कि वह कई बार विदेश भी गए हैं और थाईलैंड और नेपाल के सरगना से भी मिले हैं.

काम का मिलता है 10 पर्सेंट
दोनों ठग कई घटनाओं को अब तक अंजाम दे चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें ये नहीं पता था कि वह किसके साथ ठगी कर रहे हैं. उनके काम का उन्हें 10 परसेंट कमीशन दिया जाता था, जो काम पूरा होने पर तुरंत गिरोह का सरगना उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था. दिव्यांशु और पुलकित दोनों की अभी शादी नहीं हुई है. दोनों को क्लब जाना और महंगे होटलों में ठहरना खूब पसंद हैं और अपने इन्हीं शौक को पूरा करने के लिए वह साइबर ठगी करते हैं. 

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Nov 25 2024, 12:13

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे की हार को लेकर कहा दी ये बड़ी बात

महाराष्ट्र में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत पर मंडी से सांसद कंगना रनौत ने खुशी जताई. वहीं, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की हार को लेकर उन्होंने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा और उन्हें दैत्य कहा

महाराष्ट्र में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल की और इतिहास रच दिया. बीजेपी ने 132 सीटें जीती, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में उद्धव गुट की शिवसेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिली.

बीजेपी की जीत पर जताई खुशी

कंगना रनौत ने बीजेपी की फतह पर कहा, हमारी पार्टी के लिए यह ऐतिहासिक जीत है. जाहिर सी बात है हम सब कार्यकर्ता बहुत उत्साहित है. हम पूरे महाराष्ट्र और पूरे भारत की जनता का धन्यवाद करते हैं. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी का जिक्र करते हुए कहा, हमारी जो पार्टी है, उनकी जो विचारधारा है, हमारे पास एक से बड़ कर एक नेतृत्व के लिए लोग हैं.

उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

सांसद कंगना रनौत ने कहा, मुझे उनकी हार की उम्मीद थी. उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, हम देवताओं को और दैत्यों को कैसे पहचानते हैं. जो महिलाओं की इज्जत उतारते हैं वो दैत्य ही होते हैं और जो महिलाओं को सम्मान देते हैं वो देवता होते हैं. उन्होंने महायुति की प्रशंसा करते हुए कहा, हमारी पार्टी ने आज अगर हम देखें की महाराष्ट्र में महिलाओं को आरक्षण दिया है, अनाज दिया है, गैस सिलेंडर दिए हैं. इससे पता चलता है कि कौन देवता है और कौन दैत्य है. उन्होंने आगे कहा, दैत्य का वो ही हुआ जो हमेशा होता है, उनकी हार हुई.

साल 2020 में उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने कंगना रनौत का बांद्रा में स्थित बंगले में कथित अवैध परिवर्तनों को ध्वस्त कर दिया था. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके बंगले को ध्वस्त करने के मुंबई नागरिक निकाय के आदेश को रद्द कर दिया था और माना गया कि वह बीएमसी की “दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई” के चलते मुआवजे की हकदार हैं.

2020 में उनके घर को तोड़ने को याद करते हुए कंगना रनौत ने कहा, मेरा घर तोड़ा गया, मेरा अपमान किया गया, गालियां दी गई, तो कहीं न कहीं मुझे लगता है कि बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी वो दिख ही रहा था. कांग्रेस को लेकर सांसद ने कहा, उनको पब्लिक से एक मजबूत जवाब मिला है.