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Nov 29 2024, 20:44

हरदोई में सड़क निर्माण घोटाले में दोषी पाए गए 11 अभियंताओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया निलंबित

लखनऊ। यूपी में निर्माण कार्य में गड़बड़ी करने वालों करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की अब खैर नहीं है।  हरदोई में हुए सड़क निर्माण घोटाले में दोषी पाए गए एक अधीक्षण अभियंता, दो अधिशासी अभियंता, आठ अवर अभियंता को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निलंबित कर दिया।लोक निर्माण विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार हरदोई में चार नवनिर्मित सड़कों के नमूने लिए गए थे और लैब में इन नमूनों की जांच कराई गई तो ये सभी नमूने फेल हो गए। 

सभी निलंबित अभियंताओं के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश

लैब में तारकोल की मात्रा कम मिली, गिट्टी समेत अन्य सामग्री भी मानक से कम मिली है। इसके बाद अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र, अधिशासी अभियंता सुमंत कुमार व शरद कुमार मिश्रा, आठ अवर अभियंता मोहम्मद शोएब, राजीव कुमार, अमर सिंह, रुचि गुप्ता, सत्येंद्र कुमार, अवधेश कुमार गुप्ता, मकरंद सिंह यादव और वीरेंद्र प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। सभी निलंबित अभियंताओं के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।

फर्जीवाड़ा करने पर आठ सफाई सुपरवाइजरों का रोका वेतन

वाराणसी में  स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर संजीदा नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने गुरूवार शाम को आठ सफाई सुपरवाइजरों का वेतन रोक दिया। आरोप है कि सुपरवाइजरों ने सफाई कर्मियों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा किया था। आठों सुपरवाइजरों से तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण न देने पर उन्हें निलम्बित कर दिया जायेगा। नगर आयुक्त ने सफाई कर्मियों की उपस्थिति सालिड वेस्ट मैनेजमेन्ट पोर्टल् पर जियेाटैग के माध्यम से दिन में तीन बार, आठ-आठ घंटे पर किये जाने के लिए आदेशित किया है।

अपर नगर आयुक्त को जॉच अधिकारी बनाया गया

जॉच में पाया गया कि संजय पाल सफाई सुपरवाइजर, रामनगर, धीरेन्द्र गिरी, सफाई सुपरवाइजर, सुसुवाहीं, राजकुमार, सफाई सुपरवाइजर भगवानपुर,राजकुमार कटेरिया, सफाई सुपरवाइजर मड़ौली, सुधीर, सफाई सुपरवाइजर नदेसर, राजबहादुर सिंह, सफाई सुपरवाइजर लहरतारा तथा नरेश, सफाई सुपरवाइजर दुर्गाकुण्ड ने मोबाईल से बिना जियोटैंग के, सामान्य फोटो खिंचकर पोर्टल पर अपलोड कर दिया था। इस मामले में अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार गुप्ता को जॉच अधिकारी बनाया गया है। 

नगर निगम प्रशासन ने शहर में स्वच्छता अभियान पर खासा जोर

बताते चले स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में बेहतर स्थान पाने के लिए वाराणसी नगर निगम प्रशासन ने शहर में स्वच्छता अभियान पर खासा जोर दिया है। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के निर्देश पर गुरूवार से शहर के सभी वार्डो में स्वच्छता के लिए जन-जागरूकता अभियान शुरू किया गया। इसका आगाज आदमपुर जोन के पॉच वार्डो से किया गया। जन जागरूकता अभियान क्रमशः कमलगढ़हा वार्ड,कमालपुरा वार्ड, जमालुद्दीनपुरा वार्ड, प्रहलादघाट वार्ड, बागेश्वरी देवी वार्ड में चला। 

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Nov 29 2024, 20:43

कानपुर: नर्सिंग होम में करने वाली युवती से जबरन दुष्कर्म, आरोपित गिरफ्तार

कानपुर। कल्याणपुर थाना क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल में काम करने वाले युवती से जबरन दुष्कर्म करने का मामला गुरुवार को प्रकाश में आया। पुलिस इस संबंध में तत्काल मुकदमा दर्ज किया और आरोपित को गिरफ्तार करके विधिक कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया।

आरोपित कई बार जबरदस्ती करने की कोशिश की

पुलिस उपायुक्त ​पश्चिम जोन राजेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित कानपुर नगर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के बनिया पुरवा गांव निवासी दुर्गेश निषाद पुत्र फत्तेलाल निषाद है। पीड़ित युवती एक निजी अस्पताल में काम करती थी। जहां पर ड्यूटी के दौरान वहीं पर कार्यरत आरोपित कई बार जबरदस्ती करने की कोशिश की। लेकिन वह किसी तरह बचती रही। हालांकि उक्त आरोपित कुछ दिन पहले युवती के कमरे तक जा पहुंचा जहां उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो बना लिया। 

युवती ने हिम्मत जुटाकर थाने में की शिकायत 

इसके बाद पीड़ित युवती को सोशल मीडिया में अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई बार दुष्कर्म किया। हालांकि पीड़ित युवती ने किसी तरह हिम्मत जुटाकर उसके खिलाफ थाने में शिकायत किया। जिसे पुलिस गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज करके आरोपित की तलाश शुरू कर दी। कल्याणपुर थाने की पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर उक्त आरोपित को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया। 

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Nov 29 2024, 20:43

विधानसभा उप चुनाव के बाद योगी कैबिनेट में फेरबदल के सुगबुगाहट, कई मंत्रियों के बदले जा सकते है विभाग 

लखनऊ । विधानसभा उपचुनाव में भाजपा गठबंधन के 9 में से 7 सीट जीतने के बाद अब फिर से प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कई विधायक जहां मंत्री बनने के लिए जोड़-तोड़ में जुट गए हैं, वहीं सहयोगी दल भी मंत्रिमंडल में कोटा बढ़ाने की दावेदारी करने की तैयारी में हैं। हालांकि, मंत्रिमंडल में फेरबदल दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद संभव है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार मंत्रिमंडल में बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी है। इनमें कई कैबिनेट और राज्यमंत्रियों का पत्ता साफ हो सकता है।

उपचुनाव के पहले से ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की कयासबाजी शुरू हुई थी, लेकिन किसी न किसी कारण से यह मामला टलता रहा है। उपचुनाव निपटने के बाद सरकार और पार्टी के स्तर पर मिशन-2027 की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल विस्तार को अधिक दिन नहीं टाला जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में जल्द ही दिल्ली में बैठक होगी। इसमें विस्तार की रूपरेखा तय की जाएगी। इसके बाद विस्तार को अंतिम रूप दिया जाएगा।सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से ओबीसी और दलित मतदाताओं के बिखराव से भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उसकी भरपाई उपचुनाव में करने के लिए सरकार और संगठन ने कड़ी मेहनत की थी। इसका सार्थक परिणाम भी सामने आया है। इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में ओबीसी और दलित समीकरण साधने के लिहाज से चेहरों को भी शामिल किया जा सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में जीतने वाले एक या दो विधायकों को भी मौका दिया जा सकता है। खास तौर से दशकों से जिन सीटों पर भाजपा नहीं जीती थी, वहां से जीतने वाले विधायकों को मंत्रीपद देकर पुरस्कृत किया जा सकता है। वहीं, लंबे समय से मंत्री रहने के बावजूद बेहतर परिणाम न देने वाले कई मंत्रियों को बाहर भी किया जा सकता है। ऐसे कई मंत्रियों की कार्यप्रणाली का आकलन किया जा रहा है। संगठन में बेहतर काम करने वालों खासतौर से उपचुनावों की रणनीति में जुटने वाले कुछ संगठन के नेता भी मंत्री बनाए जा सकते हैं।उपचुनाव में सीट में भागीदारी से वंचित रह गए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद जहां मंत्रिमंडल में एक और पद पाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि मीरापुर सीट जीतने वाले रालोद भी दबाव बना सकता है। ऐसे में प्रस्तावित विस्तार में बड़े पैमाने पर फेरबदल संभव है। 

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Nov 29 2024, 20:42

जामा मस्जिद विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सुनवाई आज, जुमे की नमाज को लेकर संभल में हाईअलर्ट  

लखनऊ/संभल  । संभल के जामा मस्जिद विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। संभल जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच 29 नवंबर को सुनवाई करेगी।

याचिका में कहा गया है कि यह असाधारण मामला है इसलिए कोर्ट की ओर से असाधारण कदम उठाया जाए। मस्जिद कमेटी ने निचली अदालत के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। निचली अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था।बता दें कि संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी जिसमें कुछ लोग मारे गए थे।

संभल न्यायालय में आज होनी है पहली सुनवाई, जुमे की नमाज को लेकर हाई अलर्ट 

जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर के संबंध में शुक्रवार को चंदौसी स्थित न्यायालय में पहली सुनवाई होनी है। वहीं जुमे की नमाज भी अदा की जाएगी। इसे लेकर जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर है। संभल नगर में सीडीओ समेत कई जिला स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।


24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान मोहल्ला कोटगर्बी में बवाल हो गया था

दरअसल, 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान मोहल्ला कोटगर्बी में बवाल हो गया था। पथराव, आगजनी और गोलीबारी हुई थी। इस बवाल में पांच की मौत हो गई और 19 पुलिसकर्मी व अधिकारी घायल हुए थे। इस मामले की शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई है और इधर, जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा की जानी है, इसको लेकर जिले का प्रशासन हाईअलर्ट है।

डीएम ने अधिकारियों को मजिस्ट्रेट बनाकर चिन्हित 18 स्थानों पर तैनात किया

डीएम डॉ.राजेंद्र पैंसिया ने सीडीओ गोरखनाथ भट्ट, एडीएम न्यायिक सुशील चौबे समेत कई जिले के अधिकारियों को मजिस्ट्रेट बनाकर चिन्हित 18 स्थानों पर तैनात किया है। इनकी जिम्मेदारी होगी कि नमाज के समय जामा मस्जिद की ओर पांच व्यक्तियों से अधिक का कोई समूह जाता मिले तो उसको रोका जाए और धारा 163 से अवगत कराया जाए। अनावश्यक परेशान न करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

जामा मस्जिद के नजदीक फोर्स का रहेगा पहरा, अधिकारियों का रहेगा डेरा

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा को जामा मस्जिद के 200 मीटर के आसपास प्रभारी बनाकर तैनात किया गया है। इनके साथ डीएसओ शिवि गर्ग, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी माधवी पांडे, नायब तहसीलदार सतेंद्र चाहर, उदयवीर सिंह और ईओ मणिभूषण तिवारी मौजूद रहेंगे। पुलिस, पीएसी, आरएएफ के जवान और पुलिस के अधिकारी भी लगाए गए हैं।

जहां हुआ बवाल, उस इलाके में रहेंगे एडीएम न्यायिक

24 नवंबर को जहां बवाल हुआ था, उस इलाके में सुरक्षा की जिम्मेदारी एडीएम न्यायिक सुशील चौबे संभालेंगे। उनके साथ नायब तहसीलदार अनुज कुमार और पूर्ति निरीक्षक सजनलाल गुप्ता मौजूद रहेंगे। पुलिस का पहरा होने के साथ बैरिकेडिंग से सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद की गई है। जामा मस्जिद की ओर वाहन से नहीं जाया जाएगा, जो भी नमाज होंगे वह पैदल ही जाएंगे।

इन जगहों पर मजिस्ट्रेटों की तैनाती

चौधरी सराय में सीडीओ गोरखनाथ भट्ट, परियोजना निदेशक ज्ञान सिंह और बीडीओ पवांसा अजीत सिंह सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे। चंदौसी चौराहे पर बंदोवस्त अधिकारी मातवर सिंह, डीपीआरओ उपेंद्र पांडे, जिला कृषि अधिकारी प्रबोध मिश्रा और शंकर चौराहे पर सहायक डीपीआरओ चेतेंद्रपाल सिंह, एडीओ पवांसा अशोक त्यागी मुस्तैद रहेंगे। जबकि अंजुमन चौराहे की जिम्मेदारी डीआईओएस वेदराम, जिला आबकारी अधिकारी अनुपम सिंह को दी गई है। ईदगाह एवं गवां रोड मंडी समिति संभल पर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उप कृषि निदेशक अरुण त्रिपाठी, एआर कोऑपरेटिव वीरेंद्र प्रकाश उपाध्याय, मंडी सचिव मोहित फौजदार संभालेंगे।

आसपास के इलाके में भी तैनात रहेंगे मजिस्ट्रेट

गुन्नौर के एसडीएम आनंद कटारिया जामा मस्जिद के पीछे साहनी वाले फाटक पर एबीएसए पोप सिंह, बाल विकास परियोजना अधिकारी रजना यादव के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखेंगे। डाकखाना पर एक्सईएन पीब्डल्यूडी सुनील प्रकाश, अपर मुख्य अधिकारी आशीष सिंह की तैनाती की गई है। अनार वाली मस्जिद पर सुरेंद्र सिंह सहायक श्रमायुक्त और श्रम प्रवर्तन अधिकारी विनोद शर्मा मौजूद रहेंगे।

हिंदूपुरा खेड़ा में भी तैनात रहेंगे मजिस्ट्रेट

बवाल में हिंदूपुरा खेड़ा के युवक की जान चली गई थी। इस इलाके की जिम्मेदारी जिला विकास अधिकारी राम आशीष, बीडीओ असमोली रिजवान हुसैन और एडीओ पंचायत सुनील कुमार को दी गई है। इसके अलावा सरायतरीन चौकी पर भूमि संरक्षण अधिकारी ओंकार सिंह, एक्सईएन जल निगम शहरी आकाश त्यागी, बीएसए अलका शर्मा, एबीएसए बहजोई विनोद कुमार को तैनात किया गया है। 

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Nov 28 2024, 17:39

हिंसा के तीन दिन बादपुलिस की ओर से जारी किए गए पोस्टरों में अधिकतर उपद्रवी 20 से 30 साल की उम्र के

संभल । संभल हिंसा के बाद अब पुलिस व प्रशासन ने सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम हिंसा के तीन दिन बाद बुधवार को पुलिस की ओर से जारी किए गए पोस्टरों में अधिकतर उपद्रवी 20 से 30 साल की उम्र के हैं। प्रशासन द्वारा जारी तस्वीरों में उपद्रवियों के हाथ में ईंट-पत्थर और हथियार दिख रहे हैं। कई उपद्रवियों के चेहरे पर नकाब भी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जो वीडियो और फुटेज मिले हैं उनमें नाबालिग और महिलाएं भी शामिल हैं। हालांकि, पुलिस ने महिलाओं और नाबालिगों के पोस्टर जारी नहीं किए हैं।

एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि जितने वीडियो अभी तक सामने आए हैं, उसमें भीड़ को कोई रोकने या समझाने का प्रयास नहीं कर रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि जो भी आया वह भीड़ का हिस्सा बन गया और उपद्रव में शामिल हो गया। यह वीडियो कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। भीड़ जामा मस्जिद के पीछे से ही क्यों पहुंची? उपद्रवियों के पास तमंचे कहां से आए? इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं। एक वीडियो में युवक मुंह पर कपड़ा बांधकर तमंचे से फायरिंग करता भी दिख रहा है। तमंचे का रुख सामने की ओर है।


उधर, उपद्रव के दाैरान जामा मस्जिद के पास तार जलने से बिजली विभाग को भी नुकसान हुआ है। बिजली विभाग ने अपने नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें दो लाख रुपये का नुकसान होने की बात कही गई है। कोतवाली में उपद्रवियों के खिलाफ तहरीर देकर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।बवाल के बाद शहर अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। लेकिन पुलिस प्रशासन लगातार सतर्कता बरत रहा है। प्रशासन ने बोतल में पेट्रोल देने और सड़कों पर जहां-तहां ईंटें रखने पर रोक लगा दी है। एसडीएम वंदना मिश्रा ने पेट्रोल पंप संचालकों को पत्र जारी कर कहा है कि बोतल या किसी अन्य वस्तु में पेट्रोल नहीं दिया जाना है। यदि इस निर्देश का पालन नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बवाल वाले इलाके में बुधवार को पालिका की टीमों ने पहुंचकर ईंटों के ढेर हटवाए।

सपाइयों की निगरानी कांग्रेस के शहर अध्यक्ष को नोटिस,नुकसान का हो रहा आकलन

बवाल के बाद पुलिस-प्रशासन के अधिकारी लगातार कार्रवाई को आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष तौकीर अहमद को धारा 168 का नोटिस दिया गया है। जिसमें उनके द्वारा माहाैल खराब करने का अंदेशा जताया गया है। इसके अलावा सपा नेताओं की भी निगरानी की जा रही है। बवाल के बाद 40 लोग मुचलकों से पाबंद किए गए हैं। बवाल से पहले भी 42 लोग पाबंद किए गए थे। जियाउर्रहमान बर्क को भी 168 का नोटिस तामील कराया गया था।डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बवाल में हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से ही करने के आदेश दिए हैं। जामा मस्जिद के पास उपद्रवियों ने पुलिस की गाड़ी समेत कई वाहनों में आग लगा दी थी। साथ ही कई वाहनों में तोड़फोड़ भी की थी। पथराव में अन्य सरकारी और निजी संपत्ति को भी क्षति पहुंचाई गई।

कोर्ट कमिश्नर कल पेश कर सकते हैं सर्वे रिपोर्ट

जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई होगी। कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि वह सर्वे की समीक्षा कर रहे हैं। 29 नवंबर को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। यदि रिपोर्ट की समीक्षा पूरी नहीं हुई तो कोर्ट से समय बढ़ाने का आग्रह करेंगे। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष ने कोर्ट में वाद दायर किया था। जिसमें मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर होने का दावा किया है।

मदनी ने लिखा सीजेआई को पत्र, कहा- संज्ञान लें
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने संभल के बवाल के बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखा है। मदनी ने कहा कि सर्वे के नाम पर की जा रही गतिविधियां विश्वास को कमजोर कर रही हैं। मदनी ने पत्र में समस्या का स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के जरिए समाधान करने की मांग की है। वहीं दूसरी तरफ संभल जा रहे केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राज्य सभा सांसद पीवी अब्दुल बहाव, हैरिस बीरन, ईटी मोहम्मद बशीर, नवास गनी और एकेए अब्दुल समद के काफिले को पुलिस ने छिजारसी टोल प्लाजा पर रोक लिया और वापस भेज दिया। 

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Nov 28 2024, 17:39

डीजीपी मुख्यालय से 15 डिप्टी एसपी का तबादला 

लखनऊ । डीजीपी मुख्यालय ने बुधवार को 15 डिप्टी एसपी का तबादला कर दिया। हाल ही में निरीक्षक से डिप्टी एसपी बनने वाले 6 अधिकारी भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। आदेश के मुताबिक बिजनौर में सीओ संजय तलवार को खाद्य प्रकोष्ठ मुख्यालय भेजा गया है।

इसी तरह आशीष कुमार यादव को हमीरपुर से 11वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर भेजा गया है। हरदोई में सीओ सुनील कुमार शर्मा को कानपुर का मंडलाधिकारी बनाया गया है। इटावा में तैनात शैलेंद्र प्रताप गौतम को सहारनपुर और अमित कुमार सिंह को रेलवे, लखनऊ भेजा गया है। आनंद कुमार राय को प्रतापगढ़ से गोंडा, मनोज कुमार सिंह को कौशांबी से प्रतापगढ़, प्रतिमा सिंह को एनडीए बरेली सें 12वीं वाहिनी पीएसी फतेहपुर, सियाराम को बरेली एयरपोर्ट से आरटीसी चुनार भेजा गया है।

वहीं प्रोन्नत डिप्टी एसपी में हरदोई में तैनात राजकुमार पांडेय को हमीरपुर में सीओ बनाया गया है। इसी तरह नरेश कुमार को हापुड़ से भदोही, राम दवन को गोंडा से इटावा, रामगोपाल शर्मा को बरेली से इटावा सीओ बनाकर भेजा गया है। यादवेंद्र कुमार राय को एलआईयू बलरामपुर से एलआईयू गोंडा और संजीव कुमार विश्नोई को नोएडा कमिश्नरेट से बरेली एयरपोर्ट में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के पद पर भेजा गया है। 

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Nov 28 2024, 17:37

करहल और सीसामऊ में भाजपा की किलेबंदी रही फेल, सीएम योगी के तेवर पर भारी पड़ा नसीम सोलंकी के आंसू, विरासत को बचाने में कामयाब रही सपा

लखनऊ । करहल विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव ने जीत दर्ज की। तेजप्रताप यादव को कुल 104304 वोट मिले। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह को 89579 वोट मिले। सपा ने 14725 वोटों से जीत दर्ज की। भले ही भाजपा यहां हार गई, लेकिन इस बार उनकी रणनीति यहां काम आई। भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा और जीत का अंतर घटकर बहुत नीचे आ गया। 2022 में अखिलेश यादव 67 हजार के बड़े अंतर से जीते थे।

 उन्होंने भाजपा से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को पराजित किया था। तब सपा के खाते में 60.12 प्रतिशत वोट गया था, वहीं भाजपा को 32.74 प्रतिशत वोट ही मिला था।उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में करहल सीट सबसे अहम थी। अहम इसलिए क्योंकि ये न केवल सपा का गढ़ रही बल्कि यहां से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक थे। उनके इस्तीफे के बाद ही उप चुनाव हुआ। सपा ने मुलायम सिंह यादव के पौत्र तेजप्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया था तो वहीं भाजपा ने मुलायम के दामाद अनुजेश सिंह को मैदान में उतारा था। बसपा से अवनीश कुमार शाक्य ताल ठोंक रहे थे।20 नवंबर को हुए मतदान के बाद ही ये साफ हो गया था कि भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह यादव वोट में सेंध लगाने में कामयाब रहे।

 23 नवंबर को जब परिणाम आए तो सपा ने जीत दर्ज की। तेजप्रताप यादव को 104304 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह को 89579 वोट मिले। ऐसे में सपा ने करहल की सीट 14725 वोटों से जीत ली। वहीं बसपा प्रत्याशी अवनीश कुमार शाक्य अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। उन्हें महज 8409 वोट ही मिल सके। करहल विधानसभा सीट से 2022 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को हराया था। अखिलेश यादव ने 148196 वोट हासिल कर 67504 वोटों की बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा को 80692 वोट मिले थे। कुल पड़े वोट में सपा को मिले वोट का प्रतिशत 60.12 प्रतिशत था, जो इस बार गिरकर 50.45 प्रतिशत पर आ गया। वहीं भाजपा को 2022 के चुनाव में 32.74 प्रतिशत वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 43.33 प्रतिशत रहा।

दूसरी तरफ कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को लगातार चौथी बार हार का सामना करना पड़ा। सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने 8629 वोटों से भाजपा के सुरेश अवस्थी को हराया। वहीं, बसपा प्रत्याशी बीरेंद्र कुमार शुक्ल 1409 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। सपा की भाजपा पर जीत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी के तेवर पर सपा प्रत्याशी के आंसू भारी पड़े।मतगणना के दौरान कई बार ऐसा मौका आया जब सुरेश अवस्थी ने नसीम सोलंकी पर बढ़त बनाई, लेकिन जैसे-जैसे राउंड आगे बढ़े नसीम सोलंकी के मतों का अंतर बढ़ता चला गया। अंतिम नतीजे में सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी को 69,666 वोट मिले। बीजेपी प्रत्याशी सुरेश अवस्थी ने 61,037 वोट हासिल किए। सुबह  बजे से नौबस्ता स्थित गल्लामंडी में मतगणना शुरू हो गई थी। 

एक चबूतरे पर 14 मेजों पर गिनती की गई। पहले राउंड में ही नसीम ने 2351 मतों की बढ़त ले ली थी। तीसरे राउंड में 39 वोटों से भाजपा प्रत्याशी सुरेश आगे हुए। चौथे राउंड में 4378 वोटों से सपा ने बढ़त बना ली थी। नौवें राउंड में नसीम ने सबसे ज्यादा 30694 वोटों की बढ़त बनाई। इसके बाद 20 राउंड तक हुई गण्ना में सपा बढ़त बनाए रही। सीसामऊ उपचुनाव में पांच प्रत्याशी मैदान में थे। जिसमें बसपा प्रत्याशी बीरेंद्र कुमार को 1409 वोट मिले। अशोक पासवान को 266 और कृष्ण कुमार यादव को 113 मत मिले। वहीं 482 वोट नोटा पड़े हैं। कुल 132973 लोगों ने मतदान किया। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हाजी इरफान सोलंकी ने सपा के टिकट पर यहां जीत दर्ज की थी। उन्होंने 79163 वोट पाकर भाजपा के सलिल बिश्नोई को हराया था। 

सलिल बिश्नोई को 66,897 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के हाजी सुहेल अहमद को सिर्फ 5616 वोट मिले थे। साल 2012 में नए परिसीमन के तहत सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र बना था। इसके बाद से ही यह सीट सपा के पास है। इरफान सोलंकी का इस सीट पर खासा दबदबा है। साल 2017 में भी इस सीट पर हाजी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी। वह सपा के टिकट पर 73,030 वोट पाकर जीते थे। उन्होंने भाजपा के सुरेश अवस्थी को हराया था। सुरेश अवस्थी को 67,204 वोट मिले थे। बसपा के नंद लाल कोरी को 11,949 मिले थे। 2012 में सपा के टिकट पर हाजी इरफान सोलंकी ने सीसामऊ सीट से जीत मिली थी। सोलंकी को कुल 56,496 वोट मिले थे। भाजपा ने 2012 में हनुमान स्वरूप मिश्रा को टिकट दिया था। उन्हें 36,833 वोट मिले थे। 

कांग्रेस के संजीव दरियाबादी को 22,024 वोट मिले थे। सबसे बड़ी वजह हिंदू वोटों का बंटवारा है, जिसे भाजपा बंटेंगे तो कटेंगे नारे के जरिए रोकने की कोशिश में लगी थी, जो पूरी तरह से काम नहीं आ सकी। इसके पीछे यह भी कहा जा रहा है कि टिकट की घोषणा से ऐन वक्त पहले भाजपा के दलित बिरादरी से आने वाले पूर्व विधायक राकेश सोनकर के अचानक चर्चा में आ जाने से भी दलितों के वोट बैंक पर असर पड़ने की बात कही जा रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के खेमे में भी इस बात को लेकर काफी चर्चा रही, जबकि समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने के साथ ही हिंदू क्षेत्रों के हर बूथ पर भाजपा से बराबर की लड़ाई में रही।

 इसी तरह, सीसामऊ क्षेत्र के 60 हजार दलित बस्तियों के मतदाताओं में से जिन 49.06 प्रतिशत यानि करीब 30 हजार मतदाताओं ने मतदान किया, उनका भी सीधे-सीधे दोनों पार्टियों में बंटवारा साफ-साफ दिखा। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से दलित वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति के तहत काम किया गया, जिसमें आंशिक सफलता ही मिल पाई। आमतौर पर बस्तियों के मतदाताओं को लेकर यह कहा जाता है कि उन्हें अपने पक्ष मे करने के लिए कुछ खास तरह के इंतजाम पार्टियों को करना होता है, वह पार्टी प्रत्याशी की ओर से किया जाता है, जो भाजपा की तरफ से उस तरीके से नहीं हो पाया, जैसा होना चाहिए। यह हार की दूसरी बड़ी वजह है। इसके अलावा मतदान के दौरान जगह-जगह से सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली ऐसी सूचनाएं जिसमें यह कहा जा रहा था कि पुलिस प्रशासन लोगों को वोट देने से रोक रहा है। इससे भी उपचुनाव की वजह से शांत पड़े ऐसे मतदाताओं को सक्रिय कर दिया। जिससे सपा प्रत्याशी को पलड़ा भारी रहा। 

सपा प्रत्याशी के महिला होने और उनका सरल स्वभाव लोगों को उनके पक्ष में आने के लिए भी रोक नहीं पाया। दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी की तेवर वाली छवि को लेकर भी पार्टी के अंदर ही नकारात्मकता दिखी, यह भी हार की एक वजह बना। भाजपा के हार की एक वजह यह भी कही जा रही है कि जब राजकीय इंटर कॉलेज मतदान केंद्र में वोटिंग हो रही थी इसी तरह वहां पर भाजपा के पक्ष के कुछ नेताओं ने आकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और पुलिस से भी भिड़ गए। इससे भी पार्टी को नुकसान हुआ। भाजपा ने जिस तरह घर-घर से मतदाताओं को निकालकर बूथ तक लाने की योजना बनाई थी, वह पूरी तरह से कारगर नहीं हो पाई। इसकी वजह यह रही कि कार्यकर्ता मतदाताओं को घर निकालने में कामयाब नहीं हो सके। 

विधानसभा क्षेत्र के ऐसे भी मोहल्ले और गलियां रहीं जहां प्रचार तो खूब हुआ लेकिन लोग कम निकले। इसके उलट समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति में पूरी तरह से कामयाब रही। उसने मुस्लिम क्षेत्र के साथ ही हिंदू क्षेत्रों में बराबर की रणनीति बनाई थी। इसके साथ सपा प्रत्याशी की भावनात्मक छवि ने रही सही कमी को पूरा कर दिया। इसकी वजह से उन्हें बस्तियों के अलावा सिख, सिंधी, पंजाबी, पिछड़ा, वैश्य सभी समाजों से कम, ज्यादा वोट हासिल हुआ, जो उनकी जीत की वजह बना। 

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Nov 27 2024, 18:37

अखिलेश की राहुल से दूरी पड़ी भारी, पूरे चुनाव प्रचार के दौरान नहीं दिखी दोनों की जोड़ी, दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों में हुआ बिखराव, समेटने में अखिलेश रहे फेल


लखनऊ । विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि सपा को कांग्रेस से दूरी भारी पड़ी है।  चूंकि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और राहुल गांधी की जोड़ी नहीं दिखाई पड़ी। जबकि उपचुनाव में तमाम प्रयास के बाद भी विपक्ष सियासी ऊर्जा नहीं बना पाया। इससे दलित और अति पिछड़े वर्ग के वोटों में बिखराव हुआ। भाजपा ने इसका फायदा उठाया। इस चुनाव परिणाम ने यह भी संदेश दिया है कि विपक्ष की गोलबंदी के लिए कांग्रेस का सियासी रसायन जरूरी है।नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटें मांगी थी, लेकिन सपा ने सिर्फ खैर और गाजियाबाद दी। 

कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। सपा अकेले मैदान में रही। दोनों दल दावा करते रहे कि सभी कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से मैदान में डटे हैं। सपा ने गाहे-बहागे अपने पोस्टल बैनर पर कांग्रेस नेताओं की भी तस्वीरें लगाईं, लेकिन हकीकत यह रही कि गाजियाबाद छोड़़कर अन्य किसी भी जनसभा में कांग्रेस के नेता सपा के मंच पर नजर नहीं आए। कांग्रेस नेताओं ने दबी जुबान से यह स्वीकार किया कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया। सम्मान और स्वाभिमान खतरे में देख संगठन के जुड़े ज्यादातर नेता पहले वायनाड और फिर महाराष्ट्र के चुनाव में चले गए।

 राहुल गांधी एक भी जनसभा उत्तर प्रदेश में नहीं हो सकी। इसका सीधा असर सियासी ऊर्जा पर पड़ा।लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने संविधान, जाति गणना, आरक्षण सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दे उठाकर दलितों और अति पिछड़ी जातियों को गोलबंद किया था। सियासी जानकारों का कहना था कि सपा को उम्मीद थी कि यह गोलबंदी कायम रहेगी, लेकिन कांग्रेस नेताओं के साथ नहीं रहने से दलितों में संशय रहा। वोटों का बिखराव हुआ। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्यास के अध्यक्ष पूर्व जिला जज बीडी नकवी कहते हैं कि विपक्षी एकजुटता नहीं होने से भाजपा का हौसला बुलंद रहा। तमाम सीटों पर अल्पसंख्यक बूथ तक नहीं पहुंच पाए। इसका भी नुकसान हुआ है। 

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Nov 27 2024, 18:36

मेडिकल कॉलेज अग्निकांड : 18वें नवजात ने दम तोड़ा



लखनऊ /झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में 15 नवंबर को हुए भीषण अग्निकांड के बाद बचाए गए एक अन्य नवजात की भी मौत हो गई। अब मरने वाले शिशुओं की संख्या 18 हो गई है।प्रशासन का कहना है कि जिस बच्चे की मौत हुई है, वह पहले से ही बीमार था। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, हृदय रोग से पीड़ित नवजात का उपचार चल रहा था। शाम को उसकी मौत हो गयी। बताया गया है कि नवजात प्रीमेच्योर पैदा हुआ था और कम वजन का था। शव पोस्टमॉर्टम के लिये भेजा गया है।

 मेडिकल प्रशासन के अनुसार हादसे के वक्त बचाये गए बच्चों में अब कोई भी बच्चा मेडिकल कॉलेज में भर्ती नहीं है।गौरतलब है कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में 15 नवंबर को शुक्रवार की रात करीब साढ़े 10 बजे भीषण आग लग गई थी। घटना में 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, एक बच्चे ने रविवार को दम तोड़ दिया था। उसके बाद सोमवार को एक और बच्चे की मौत हो गई थी। एक दिन की शांति के बाद बुधवार को 3 और नवजातों की मौत बताई गई थी। इस प्रकार मृतक नवजातों की कुल संख्या 15 हो गई थी। 


इसके बाद शनिवार को दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इस प्रकार मृतक नवजातों की संख्या 17 हो गई थी। देर रात हुई एक अन्य नवजात की मौत के साथ यह आंकड़ा अब 18 पर जा पहुंचा है। हालांकि जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया कि जिस नवजात की मौत हुई है वह प्रीमेच्योर था। और वेंटिलेटर पर रखा गया था। यह भी बताया गया है कि अब कोई भी नवजात शिशु भर्ती नहीं है। सभी को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। गौरतलब है कि घटना के समय वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 39 बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया था। 

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Nov 27 2024, 18:36

अर्स से फर्स पर पहुंची बसपा, लगातार तीसरे चुनाव में शर्मनाक रहा प्रदर्शन,उपचुनाव में चार सीटों पर जमानत न बचा सकी बीएसपी, राज करने वाली पार्टी आज खोज रही अपना अस्तित्व


लखनऊ । यूपी में उपचुनाव के परिणाम की स्थिति लगभग साफ है। इसमें बसपा कहीं नजर नहीं आ रही है। कभी यूपी जैसे बड़े प्रदेश में सत्ता चलाने वाली बसपा आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो शीर्ष नेताओं से लेकर साधारण कार्यकर्ता तक की जनता से दूरी पतन का कारण बनती जा रही है। कैसे बसपा लगातार शून्य की तरफ पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश में शनिवार को उपचुनाव की मतगणना की जा रही है। 

इसमें बसपा अपना अस्तित्व खोती नजर आ रही है। कभी उपचुनाव न लड़ने वाली बसपा ने इस बार सभी नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। लेकिन, वह कुछ खास नहीं कर सके। या यूं कहें कि बसपा को उबारने में सहायक साबित नहीं हो सके तो गलत नहीं होगा। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा लगातार नीचे की ओर बढ़ती दिख रही है। पहली बार बसपा ने उपचुनाव लड़ने का एलान किया। लेकिन, इसमें भी कुछ हासिल नहीं कर सकी। सभी नौ सीटों की बात करें तो किसी में तीसरे या फिर उससे निचले पायदान पर नजर आ रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें एक प्रमुख कारण बड़े नेताओं का चुनाव प्रचार से दूरी बनाना भी देखा जा रहा है।

 चुनाव प्रचार से दूरी बसपा के लिए आमजन से दूरी बन गई। उसके प्रत्याशी लोगों के दिल में जगह नहीं बना पाए। पार्टी प्रमुख मायावती समेत लगभग सभी बड़े नेताओं ने एक भी सीट पर एक भी रैली नहीं की। ऐसे में जब सत्तासीन भाजपा और सपा के साथ मुकाबला कड़ा था। तब भी प्रत्याशियों के कंधों पर ही मैदान फतह करने की जिम्मेदारी रही। इसका खामियाजा भी बसपा को भुगतना पड़ा। इसका असर चुनाव परिणाम में साफ दिख रहा है। 2019 के बाद से बसपा लगातार नीचे की ओर खिसकती जा रही है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। इसमें बसपा ने सपा के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में बसपा को 10 सीटें हासिल हुईं। इसके बाद वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन समाप्त कर लिया। इस चुनाव में इसका असर भी दिखा। बसपा को महज एक सीट पर जीत मिली। जो कि बसपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। इसके बाद वर्ष 2024 के आमचुनाव में भी बसपा ने अकेले लड़ने की घोषणा की। 

सभी 80 सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे। मेहनत भी की गई। लेकिन, ना तो आलाकमान और ना ही पार्टी प्रत्याशी जनता के मन में जगह बना पाए। नतीजा आए तो बसपा के साथ ही उसके समर्थकों के लिए भी चौंकाने वाले थे। बसपा का खाता भी नहीं खुल सका था। यानि बसपा को आमचुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। आमचुनाव में मिली हार के बाद बसपा को यूपी में वापसी की उम्मीद थी। शायद इसीलिए कभी उपचुनाव ना लड़ने वाली बसपा ने इस बार उपचुनाव लड़ने का फैसला किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सभी नौ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया। लेकिन, अब जब नतीजे आ रहे हैं तो बसपा को एक भी सीट मिलते नहीं दिख रही है। किसी भी सीट पर वह लड़ाई पर भी नहीं है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेताओं की जनता से दूरी भी इस हार का कारण बनती जा रही है। 

उपचुनाव में सभी नौ सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बाद पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। इसमें पार्टी प्रमुख मायावती, आकाश आनंद और सतीश चंद्र मिश्र सहित करीब 40 नेताओं को मैदान संभालने की जिम्मेदारी मिली। लेकिन, समय बीतता गया और यूपी में मायावती समेत लगभग किसी भी बड़े नेता की कोई जनसभा नहीं हुई है। आमजन से दूरी का आलम यहां तक रहा कि बसपा अपने पारंपरिक वोट भी पूरी तरह से पक्ष में नहीं ला सकी। बसपा का कोर वोटर दलित माना जाता है। लेकिन, बसपा उसे भी बांधकर रखने में असफल साबित हो रही है। चुनाव नतीजों में इसका असर साफ दिख रहा है। पिछले कुछ समय से संविधान और जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी काफी तेज है। भाजपा और सपा इस पर अपने-अपने गुणा-गणित के हिसाब से बयानबाजी करती रही। लेकिन, बसपा ने खुलकर इस पर कुछ नहीं कहा। इसका भी असर बसपा के कोर वोटर समेत नए वोटरों पर दिख रहा है।

उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरे चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को वोटों के लिए तरसना पड़ गया। नतीजों से साफ है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बसपा का करीब 60 फीसद से अधिक वोट बैंक दूसरे दलों में शिफ्ट हो गया। दलित वोट बैंक ने बसपा को नकार दिया तो पार्टी मुस्लिम वोटरों का भरोसा भी नहीं जीत सकी। बसपा का उपचुनाव लड़ने का दूसरा कदम भी उसे नई दिशा नहीं दिखा सका। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी बसपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। फिलहाल बसपा का प्रदर्शन उसके अस्तित्व पर किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहा है।चुनावी नतीजों पर गौर करें तो करहल, कुंदरकी, मीरापुर और सीसामऊ में बसपा धड़ाम हो गई। 

चारों सीटों पर बसपा का वोट पांच अंकों की सीमा तक भी नहीं पहुंच सका, जो प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने की वजह बन गया। मीरापुर और कुंदरकी में तो वोटरों ने बसपा से ज्यादा आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को तरजीह दी है।बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन कटेहरी सीट पर रहा, जहां पार्टी प्रत्याशी अमित वर्मा ने 41,647 वोट हासिल किए। वहीं मझवां के प्रत्याशी दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी ने 34,927 और फूलपुर के प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सिंह को 20,342 वोट मिले। हालांकि तीनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कम वोट मिले हैं। 

गाजियाबाद में टिकट बदलने का खेल बसपा को भारी पड़ गया और उसके प्रत्याशी परमानंद गर्ग 10,736 वोट ही हासिल कर पाए।बसपा के इस खराब प्रदर्शन की वजह पार्टी के बड़े नेता हैं, जिन्होंने उपचुनाव में प्रचार करने की जहमत तक नहीं की। पार्टी नेता महाराष्ट्र और झारखंड में खुद को मजबूत करने के फेर में यूपी में अपनी जमीन को खो बैठे। प्रत्याशियों ने अपने दम पर प्रचार किया, जो जीत में तब्दील नहीं हो सका। बसपा सुप्रीमो की प्रत्याशियों से मुलाकात तो हुई, लेकिन उनके नाम की घोषणा पार्टी ने अंतिम समय पर की, जिससे वोटरों में ऊहापोह रहा। सोशल इंजीनियरिंग के बल पर चुनाव जीतने की उसकी कसरत किसी काम नहीं आई। टिकट वितरण में अंजान चेहरों पर दांव लगाने की कीमत पार्टी को चुकानी पड़ गई।